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अब बीआरटीएस कॉरिडोर में चल सकेंगी स्कूल और इंटरसिटी बसें

locationभोपालPublished: Jan 18, 2019 01:56:10 am

Submitted by:

Ram kailash napit

बीसीएलएल ने जारी की अनुमति, राजधानी को जाम से मिलेगी मुक्ति

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भोपाल. रोजाना ट्रैफिक जाम का शिकार हो रहे राजधानीवासियों के लिए खुश खबर है। अब बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) की डेडीकेटेड लेन में स्कूल बसें भी चल सकेंगी। भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीसएलएल) ने २४ किमी लंबे (संत हिरदाराम नगर से मिसरोद) बीआरटीएस कॉरिडोर में संचालित इंटरसिटी, निजी ऑपरेटर्स अंतर्गत संचालित इंटरसिटी बसों एवं स्कूल बसों को गुजरने की अनुमति दे दी है।

बीसीसएलएल ने स्कूल बसों के संचालन के लिए कुछ शर्तें अनिवार्य की हैं। बसों को बीआरटीएस कॉरिडोर में बिना रुके-बिना ओवरटेक के चलाना होगा। स्कूल प्रबंधन व बस संचालकों को बीसीसएलएल कार्यालय में आवेदन करना होगा। गठित समिति से अनुमति लेनी होगी। बिना रुके और आेवरटेक के नियम सहित यातायात के नियम तोडऩे की स्थिति में कमेटी संचालन निरस्त कर चालानी कार्रवाई करेगी। समस्त प्रकार के वाहनों,विशेष रूप से स्कूल बस चालकों/परिचालकों एवं संचालकों को बीसीएलएल द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रशिक्षण भी लेना होगा।

स्कूल प्रबंधन को लेनी होगी अनुमति
बीआरटीएस कॉरिडोर में स्कूल बस संचालन के लिए बीसीएलएल की समिति से विशेष अनुमति लेनी होगी। नियमों के पालन की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन एवं बस संचालक की होगी। स्कूल बसों की नियमित मॉनिटरिंग एवं बिना रुके संचालन के लिए स्कूल को नोडल अधिकारी एवं कर्मचारी को नियुक्त करना होगा। स्कूल बसों को जीपीएस प्रणाली एवं सीसीटीवी कैमरा से युक्त होना अनिवार्य है। छात्र-छात्राओं एवं आम नागरिकों का कॉरिडोर को पार (क्रास) करना पूर्ण रूप से वर्जित होगा।
विशेषज्ञ बोले- बरतनी होगी विशेष सतर्कता
जानकारों का कहना है कि स्कूल बसों के संचालन के दौरान कॉरीडोर में विशेष सर्तकता बरतनी होगी अन्यथा दुर्घटनाओं की संख्या घटने के बजाए बढ़ सकती है। इसके लिए व्यवस्था बनानी होगी।

शहर की व्यस्त सड़कों पर दुर्घटनाएं होंगी कम
इंटरसिटी एवं स्कूल बसों के बीआरटीएस कॉरिडोर में संचालन की अनुमति से सड़कों से वाहनों का दबाव कम होगा। सबसे ज्यादा फायदा सुबह एवं स्कूलों की छुट्टी के समय जाम से निजात के रूप में होगा। पुराने शहर की व्यस्त एवं संकरी सड़कों पर दुर्घटनाओं में भी कमी आने की उम्मीद है।

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