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भोपाल

बीएमसी-जिला अस्पताल होंगे मर्ज

पत्रिका समाचार पत्र लंबे समय से जिला अस्पताल और बीएमसी के मर्जर को लेकर आवाज उठाता आ रहा है, क्योंकि जिला अस्पताल में डॉक्टरों व स्टाफ की संख्या लगातार कम होती जा रही है, जबकि बीएमसी को एमबीबीएस की सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए जिला अस्पताल की जमीन की जरुरत थी।

भोपालFeb 24, 2024 / 12:30 am

brajesh tiwari

बीएमसी-जिला अस्पताल होंगे मर्ज

स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग का मर्जर हो जाने के बाद पहली बार स्वास्थ्य विभाग भोपाल की टीम सागर पहुंची।

सागर. स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग का मर्जर हो जाने के बाद पहली बार स्वास्थ्य विभाग भोपाल की टीम सागर पहुंची। अधिकारियों ने बारी-बारी से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की बिङ्क्षल्डग का निरीक्षण किया। दोनों ही जगहों पर वार्डवार व्यवस्था समझी। पहले असेसमेंट में बीएमसी के कुछ वार्डों को जिला अस्पताल तो जिला अस्पताल की जरूरी सेवाओं को बीएमसी की बिङ्क्षल्डग में शिफ्ट करने पर एक राय बनी। दोनों संस्थानों का मर्जर होने के बाद ओपीडी पर्ची के लिए एक बड़ी जगह निकलने की प्लाङ्क्षनग पर चर्चा हुई। दिन भर चले निरीक्षण के बाद टीम कलेक्टर कार्यालय पहुंची और जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर टीम भोपाल रवाना हो गई। पत्रिका समाचार पत्र लंबे समय से जिला अस्पताल और बीएमसी के मर्जर को लेकर आवाज उठाता आ रहा है, क्योंकि जिला अस्पताल में डॉक्टरों व स्टाफ की संख्या लगातार कम होती जा रही है, जबकि बीएमसी को एमबीबीएस की सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए जिला अस्पताल की जमीन की जरुरत थी।
आठ सदस्यीय टीम ने किया मुआयना
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक समेत 8 सदस्यीय टीम ने शहर के दोनों प्रमुख संस्थानों का निरीक्षण किया। डीन डॉ. आरएस वर्मा, जिला अस्पताल से आरएमओ डॉ. अभिषेक ठाकुर, पीआइयू के अधिकारियों के साथ टीम बीएमसी और जिला अस्पताल की बिङ्क्षल्डग का निरीक्षण करती रही। जिला अस्पताल में उन्होंने डफरिन अस्पताल, पीडिया वार्ड के लिए व्यवस्थाएं देखीं। कहा जा रहा है कि मर्जर के बाद बीएमसी का प्रसूता और पीडिया वार्ड यहां शिफ्ट हो सकता है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक और खाली जगह का भी मौका मुआयना किया गया। इसके बाद बीएमसी में कैजुअल्टी वार्ड, स्टोर रूम, ओपन स्पेस भी देखा। मर्जर के बाद एक ओपीडी होगी लिहाजा बीएमसी में ओपीडी स्पेस को बढ़ाने और कैजुअल्टी वार्ड की जगह बढ़ाने की संभावनाएं तलाशी। साफ सफाई, टॉयलेट, सीपेज को लेकर मरम्मत कार्य के निर्देश दिए।
…तो एक हो जाएगी कैजुअल्टी और ओपीडी

बीएमसी में हर दिन जहां 1500-2000 तो जिला अस्पताल में 330-550 मरीज पहुंचते हैं। अभी दोनों संस्थानों में अलग-अलग ओपीडी है और इलाज भी अलग-अलग होता है। मर्जर के बाद संभावना है कि दोनों बिङ्क्षल्डग के बीच मौजूद दीवार तोड़ी जाएगी और बीएमसी की ओपीडी का विस्तार किया जाएगा ताकि मरीजों की संख्या बढऩे पर भीड़ को संभाला जा सके। इसके अलावा दोनों जगह की कैजुअल्टी वार्ड को भी मर्ज कर दिया जाएगा। इसका स्पेस बढ़ाने के लिए भी अधिकारियों ने जगह देखी। अधिकांश एक्सीडेंटल केस बीएमसी पहुंचते है इसलिए अतिरिक्त वार्ड और जगह की व्यवस्था करने पर राय बनी।
मर्जर से 250 यूजी सीटों की मान्यता की उम्मीदें बढ़ीं
बीएमसी और जिला अस्पताल के मर्जर से बीएमसी प्रबंधन भी उम्मीद कर रहा है कि उसकी 250 यूजी सीटों की मान्यता बच सकती है। प्रबंधन को जिला अस्पताल का भवन चाहिए ताकि वह एनएमसी को 300 बेड की अस्पताल दिखा सके। 3 बड़े लेक्चर हॉल बना सकें। ऐसे में प्रबंधन ने टीम के अधिकारियों से राय मांगी है लेकिन मर्जर के पहले असेसमेंट में अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहे। उम्मीद है कि बीएमसी को अब जिला अस्पताल की जगह और भवन उपयोग के लिए मिल सकते हैं।
सफाई और मरम्मत कार्य कराने के निर्देश
टीम ने बीएमसी के स्टोर रूम में निर्देश के बाद भी रैक न लगाने पर नाराजगी जताई। लॉन्ड्री के पास जर्जर खिड़कियों को लेकर मरम्मत कराने बोला। बीएमसी में जगह-जगह सीपेज की समस्या दूर करने के निर्देश दिए। अधीक्षक कार्यालय में फाइल्स व्यवस्थित कर रैक में रखने के निर्देश दिए। बीएमसी भवन की छत पर रेगुलर सफाई करवाने और सोलर प्लेटों की सफाई और उचित रखरखाव के लिए कहा।
एनएमसी की टीम को बुला सकते हैं
स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक हो जाने के बाद विभागीय टीम ने मर्जर की व्यवस्थाएं देखने के लिए दौरा किया है। अभी ये पहला असेसमेंट है। बीएमसी और जिला अस्पताल के कई वार्ड इधर से उधर करने पर विचार चल रहा है। अच्छी बात यह है कि जिला अस्पताल की बिङ्क्षल्डग व जगह मिल जाने के बाद हम 250 यूजी सीटों पर प्रवेश के लिए एनएमसी की टीम को निरीक्षण के लिए बुला सकते हैं।
डॉ. आरएस वर्मा, डीन बीएमसी

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