स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक समेत 8 सदस्यीय टीम ने शहर के दोनों प्रमुख संस्थानों का निरीक्षण किया। डीन डॉ. आरएस वर्मा, जिला अस्पताल से आरएमओ डॉ. अभिषेक ठाकुर, पीआइयू के अधिकारियों के साथ टीम बीएमसी और जिला अस्पताल की बिङ्क्षल्डग का निरीक्षण करती रही। जिला अस्पताल में उन्होंने डफरिन अस्पताल, पीडिया वार्ड के लिए व्यवस्थाएं देखीं। कहा जा रहा है कि मर्जर के बाद बीएमसी का प्रसूता और पीडिया वार्ड यहां शिफ्ट हो सकता है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक और खाली जगह का भी मौका मुआयना किया गया। इसके बाद बीएमसी में कैजुअल्टी वार्ड, स्टोर रूम, ओपन स्पेस भी देखा। मर्जर के बाद एक ओपीडी होगी लिहाजा बीएमसी में ओपीडी स्पेस को बढ़ाने और कैजुअल्टी वार्ड की जगह बढ़ाने की संभावनाएं तलाशी। साफ सफाई, टॉयलेट, सीपेज को लेकर मरम्मत कार्य के निर्देश दिए।
बीएमसी और जिला अस्पताल के मर्जर से बीएमसी प्रबंधन भी उम्मीद कर रहा है कि उसकी 250 यूजी सीटों की मान्यता बच सकती है। प्रबंधन को जिला अस्पताल का भवन चाहिए ताकि वह एनएमसी को 300 बेड की अस्पताल दिखा सके। 3 बड़े लेक्चर हॉल बना सकें। ऐसे में प्रबंधन ने टीम के अधिकारियों से राय मांगी है लेकिन मर्जर के पहले असेसमेंट में अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहे। उम्मीद है कि बीएमसी को अब जिला अस्पताल की जगह और भवन उपयोग के लिए मिल सकते हैं।
टीम ने बीएमसी के स्टोर रूम में निर्देश के बाद भी रैक न लगाने पर नाराजगी जताई। लॉन्ड्री के पास जर्जर खिड़कियों को लेकर मरम्मत कराने बोला। बीएमसी में जगह-जगह सीपेज की समस्या दूर करने के निर्देश दिए। अधीक्षक कार्यालय में फाइल्स व्यवस्थित कर रैक में रखने के निर्देश दिए। बीएमसी भवन की छत पर रेगुलर सफाई करवाने और सोलर प्लेटों की सफाई और उचित रखरखाव के लिए कहा।
स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक हो जाने के बाद विभागीय टीम ने मर्जर की व्यवस्थाएं देखने के लिए दौरा किया है। अभी ये पहला असेसमेंट है। बीएमसी और जिला अस्पताल के कई वार्ड इधर से उधर करने पर विचार चल रहा है। अच्छी बात यह है कि जिला अस्पताल की बिङ्क्षल्डग व जगह मिल जाने के बाद हम 250 यूजी सीटों पर प्रवेश के लिए एनएमसी की टीम को निरीक्षण के लिए बुला सकते हैं।
डॉ. आरएस वर्मा, डीन बीएमसी