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गिरफ्तारी से पहले भाजपा नेता ने कहा- पकौड़े और पोहे-जलेबी वालों का रोजगार न छीनें

locationभोपालPublished: Jul 19, 2019 04:59:32 pm

Submitted by:

Manish Gite

गिरफ्तार से पहले भाजपा नेता सुरेंद्र नाथ सिंह ( bjp leader ) ने मुख्यमंत्री कमलनाथ ( cm kamal nath ) को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने भोपाल ( bhopal ) में पोहे-जलेबी बेचने वाले और गुमठी वालों की समस्याएं उठाई हैं।

kamal nath

गिरफ्तारी से पहले भाजपा नेता ने कहा- पकौड़े और पोहे-जलेबी वालों का रोजगार न छीनें

 

भोपाल। गुरुवार को प्रदर्शन के दौरान नगर निगम को धमकी देने और विवादास्पद बयान देने वाले भाजपा नेता और भोपाल की मध्य विधानसभा के पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह मम्मा ( ex mla surendra nath singh ) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके बयान के बाद मम्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। शुक्रवार को गिरफ्तार से पहले भाजपा नेता सुरेंद्र नाथ सिंह ( BJP leader ) ने मुख्यमंत्री कमलनाथ ( cm Kamal Nath ) को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने भोपाल ( Bhopal ) के गुमठी वालों की समस्याएं उठाई हैं। कहा कि पकौड़े बेचने वाले और पोहे-जलेबी बेचने वालों को बेरोजगार न करें।

प्रस्तुत है भाजपा विधायक का वो पत्र जो उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखा है…।

surendra nath singh

आदणीय कमलनाथ जी,
मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन

प्रणाम। यह पत्र पीड़ा से वशीभूत हो कर लिख रहा हूं। यह उन गरीब परिवारों का मामला है, जो आजीविका के लिहाज से अराजकतापूर्ण अनिश्चितता के मुहाने पर ला दिए गए हैं। भोपाल स्थित महाराणा प्रताप नगर के जोन एक और दो में प्रशासन अतिक्रमण-विरोधी मुहिम संचालित कर रहा है। इस कदम की आड़ में केवल छोटे गुमठीधारियों और खोमचे वालों के साथ जो अत्याचार हो रहा है, उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।

भाजपा नेता ने लिखा है कि ये वे लोग हैं, जो अल-सुबह से लेकर देर रात तक रोजाना कहीं समोसा-कचौड़ी तो कहीं चाय-पोहा इत्यादि बेचकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। एमपी नगर बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र है, इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों की बिक्री के वहां समुचित अवसर उपलब्ध हैं। मैं अतिक्रमण का समर्थक नहीं हूं। न मैं सड़क पर हर कहीं गुमठी, ठेले लगाने का समर्थन करता हूं।

 

सुरेंद्र नाथ ने कमलनाथ से कहा है कि आरम्भ से ही मेरा यह आग्रह रहा है कि इन बहुत छोटे स्तर के लोगों को हटाए जाने से पहले उनके उचित पुनर्वास का पूर्ण एवं मानवोचित प्रबंध किया जाए। आपको स्मरण होगा कि मैंने अपनी पार्टी की सरकार के रहते हुए भी हबीबगंज नाका क्षेत्र में अतिक्रमण हटाए जाने का इसी आधार पर पुरजोर विरोध किया था। यही भाव लेकर आज मैं यह पत्र आपको प्रेषित कर रहा हूं।

 

क्या यह पुनर्वास उचित है
आदरणीय, पोहे, जलेबी या चाय बेचने वालों को शहर की भीड़ से दूर सूनसान में दाना-पानी क्षेत्र में भेजने का निर्णय क्या उनका समुचित पुनर्वास कहा जा सकता है? सोचिए कि उस जगह पर क्या इस तरह के व्यवसाय किसी भी तरह से जीवित रह पाएंगे? जो लोग इतनी मेहनत के बावजूद दिन-भर में बमुश्किल कुछ 100 रुपए का मुनाफा अर्जित कर पाते हैं, क्या उनसे यह उम्मीद की जा रही है कि व्यवसाय निर्बाध रूप से संचालित करने के लिए वे एमपी नगर में लाखों रुपयों की दुकान खरीदें अथवा किसी कॉम्पलेक्स में महंगा ऑफिस खरीद कर वहां इन पदार्थों की बिक्री करें? फिर मेरी आपत्ति इस मुहिम के निष्पक्ष न होने पर भी है।

 

आंख मूंदकर बैठा है प्रशासन
किसी से नहीं छिपा है कि एमपी नगर में अतिक्रमण के धनाढ्य स्वरूप की भयावह स्थिति से प्रशासन आंख मूंदकर बैठा है। तमाम कॉम्पलेक्स और होटलों में वाहन पार्किंग के नाम पर दिखाए गए स्थानों में व्यवसाय संचालित किए जा रहे हैं। नतीजा यह कि इन भवन तथा होटलों में आने वाले वाहन सड़क पर खड़े किए जाते हैं। वहां की मुख्य सड़क कहने भर के लिए अस्सी फीट की है। सच कहें तो इन बड़े अतिक्रमणकारियों की बदौलत यह सड़क आठ फीट तक की नहीं बच सकी है। क्यों नहीं ऐसे भवन मालिकों के खिलाफ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है?

 

हॉकर्स कार्नर बनाए जाएं
कितनी बड़ी विडंबना है कि सुरसा के मुंह की तरह दिन-ब-दिन विकराल होती इस समस्या के जवाब में वहां केवल एक स्मार्ट पार्किंग बनायी जा सकी है। क्षेत्र में खाली पड़ी कई जमीनों को पार्किंग के नाम पर खाली छोड़ा गया है वहां क्यों नहीं हाकर्स कार्नर बनाए जाने चाहिए। बेहद छोटे स्तर के गुमठी तथा खोमचे वालों को खदेड़कर बेरोजगार कर देने की मुहिम के लिए प्रशासन अराजक होने की हद तक सख्ती दिखा रहा है।

 

हजारों लोगों को मिलती है सुविधा
मुख्यमंत्री जी, इन छोटी-मोटी दुकानों से आसपास के हजारों परिवारों की सुविधा का मामला भी जुड़ा है। दूध से लेकर रोजमर्रा के इस्तेमाल के छोटे किंतु जरूरी सामान घर से चंद कदम की दूरी पर ही यहां उपलब्ध रहते हैं। क्या प्रशासन की मंशा यह है कि ऐसे परिवार दैनिक उपयोग की इन वस्तुओं का क्रय करने के लिए भी बाजार या किसी मॉल तक की लम्बी दूरी तय करें? नि:संदेह बड़े बाजार एवं मॉल आज की अहम आवश्यकता बन चुके हैं। किंतु हम इस बात पर तो आमादा न हो जाएं कि इनके लिए बेहद गरीब तबके के पेट पर लात मार दी जाए। आप की सरकार ने तो बजट में पोहे तथा जलेबी की ब्रांडिंग की बात भी कही है। तो फिर क्यों ऐसा हो रहा है कि इन्हीं पदार्थों की इसी शहर के आम लोगों तक सुलभ एवं सस्ती पहुंच सुनिश्चित करने वालों को यूं प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।

 

गुमठियां और ठेले कुटीर उद्योग से कम नहीं
महोदय, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक ने इस देश में विकास के लिए कुटीर उद्योगों की स्थापना का मंत्र दिया था। ये ठेले, गुमठियां और खोमचे किसी कुटीर उद्योग से कतई अलग नहीं हैं। इन के माध्यम से एक ऐसी अर्थव्यवस्था संचालित हो रही है, जो गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे अनगिनत परिवारों की आर्थिक मजबूती का सबब बनी है।

 

मोदी मानते हैं पकौड़े बेचने को रोजगार

स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पकौड़े बेचने को रोजगार माना है। किंतु यहां हम पकौड़े आदि बेचने वालों को बेरोजगार बनाने पर उतारू हो गए दिखते हैं। मैं तो इस कल्पना मात्र से सिहर जाता हूं कि इतनी बड़ी संख्या में कामकाज से विहीन किए गए लोगों के परिवारों का क्या होगा? उनके पास फिर यही विकल्प बचेगा कि या तो भीख मांगें या फिर पूरे परिवार को उन्हीं खाद्य पदार्थों में जहर मिलाकर सपरिवार खुदकुशी कर लें, जो आज उनके परिजनों की जिंदगी का बहुत बड़ा आधार बने हुए हैं। और नहीं तो फिर यही होगा कि अतिक्रमण हटाने की यह मुहिम शहर में बेरोजगारी के चलते अपराध करने वालों की संख्या में भयावह इजाफा कर देगी।

 

एक दिन में नहीं हो जाता अतिक्रमण
गौर इस बात पर भी किया जाना चाहिए कि आखिर यह अतिक्रमण एक दिन में तो हो नहीं गए। जब इस क्षेत्र में गुमठियां लग रही थीं, तभी इन्हें क्यों नहीं रोका गया। और अगर अभी हटाया जा रहा है तो क्या इस बात की कोई गारंटी दे सकता है कि कल को फिर यहां अतिक्रमण नहीं होगा। निश्चित तौर पर नगर निगम के जो लोग अतिक्रमण हटा रहे हैं वे ही इस अतिक्रमण होने देने के जिम्मेदार हैं या नहीं। उन पर पहले कार्रवाई की जाना चाहिए।

 

गरीबों को रोजगार से वंचित न करें
सुरेंद्र नाथ ने कहा कि मेरा विनम्र निवेदन है कि अतिक्रमण हटाने की इस मुहिम में छिपे त्रासदायी तत्वों का निदान पहले तलाशिए। समुचित वैकल्पिक व्यवस्था के बगैर एक भी गरीब को उसके रोजगार से वंचित न करें। ये वही परिवार हैं, जिन्होंने आपकी पार्टी को राज्य की हुकूमत संचालित करने का जनादेश दिया है। आप पर भरोसा जताया है। संभव है कि प्रशासन की इन कोशिशों से अतिक्रमण की समस्या कुछ अंश तक कम हो जाए, किंतु उसके बाद जिन विकराल समस्याओं को हम अभी से साफ देख सकते हैं, उनका निदान कर पाना किसी के भी बूते की बात नहीं रह जाएगी।

 

भाजपा नेता गिरफ्तार
इधर, गुरुवार को धरना प्रदर्शन के दौरान बयान देते हुए कहा था कि सड़कों पर खून बहेगा और ये खून कमलनाथ का होगा। इसके बाद भाजपा के पूर्व विधायक सुर्खियों में आ गए थे और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उनके बयान का वीडियो भी वायरल हो गया था। इसके बाद पुलिस ने शुक्रवार को भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह को गिरफ्तार कर लिया। थोड़ी देर में सुरेंद्र नाथ सिंह को कोर्ट में पेश करने की तैयारी की जा रही थी।

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