मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को स्पष्ट संकेत दिए हैं कि चुनाव के नतीजों के अनुसार उनके विभागों में फेरबदल किया जा सकता है। लोकसभा सीट जिताने वाले मंत्री को बड़े विभाग मिलेंगे तो पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार मंत्री के पर कतरे जाएंगे।
विधायकों के लिए मंत्रिमंडल में शामिल होने का यह बड़ा पैमाना भी माना जा सकता है। मुख्यमंत्री की मंशा लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की है। ऐसे में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विधायकों को मौका दिया जा सकता है।
कमजोर प्रदर्शन पर घटाए जा सकते हैं कद, मंत्रिमंडल में जगह पाने का एक अच्छा मौका
संगठन के नेताओं को निगम-मंडल में जगह
चुनाव परिणाम के आधार पर संगठन के पदाधिकारियों समेत अन्य नेताओं का पद बड़ा किया जाएगा। निगम-मंडल में नियुक्ति के साथ ही उनको संगठन में बड़ा पद दिया जाएगा। सीएम ने ये भी स्पष्ट किया है कि लोकसभा चुनाव के बाद निगम-मंडल, अयोग और सरकारी समितियों में कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां की जाएंगी। इन नियुक्तियों का आधार अपनी सीट पर पार्टी का प्रदर्शन होगा। जिला अध्यक्षों को प्रदेश में तो प्रदेश के पदाधिकारियों को एआइसीसी में भेजा जा सकता है।
कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव अहम
यह लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम है। हिंदीभाषी राज्यों से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को ज्यादा से ज्यादा सीटों की उम्मीद है, क्योंकि यहां कांग्रेस सफलता के रथ पर सवार है। मध्यप्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज दो सीटें मिली थी, जो उपचुनाव के बाद तीन हो गई थी। इस बार पार्टी बीस से ज्यादा सीटों का लक्ष्य लेकर काम कर रही है।
प्रदेश में 15 साल बाद सरकार बनाने वाली कांग्रेस की कोशिश है कि भाजपा के खिलाफ माहौल लोकसभा चुनाव तक बना रहे, जिसका फायदा उसे मिल सके। साथ ही कर्जमाफी के पत्ते को भी पार्टी दोबारा भुनाना चाहती है। वचन पत्र के उन बिंदुओं को पहले पूरा किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर आम जनता से जुड़े हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। चुनाव में अहम रोल निभाने वाले विधायकों को जहां मंत्रिमंडल में शामिल करने में प्राथमिकता दी जाएगी, वहीं पार्टी संगठन के पदाधिकारियों को निगम-मंडल जैसे अहम पदों से नवाजा जाएगा। -कमलनाथ, मुख्यमंत्री