कुछ समय बाद वह अपने आप को भी इस दुनिया का एक हिस्सा बना हुआ पाती है, जहां शारीरिक शोषण, मदिरा पान और कई तरह के घातक नशे में वह खुद को पाती है। उसे भी ये पता नहीं चल पाता कि वह यहां सांसरिक मोह माया से दूर होकर ईश्वर और सत्य की खोज करना चाह रही थी, लेकिन अब ऐसी दुनिया में पहुंच गई जो सामान्य जिंदगी से भी बदत्तर है।
साहस और आत्मविश्वास के बल पर निकलती है बाहर
लड़की अब इस जंजाल से निकलना चाहती है लेकिन उसे रास्ता नहीं सूझता है। ऐसे में वो हिम्मत नहीं हारती है, साहस और आत्मविश्वास के बल पर वह इस जंजाल से निकलने में कामियाब होती है और इसी के साथ नाटक का अंत होता है। नाटक में भौतिक सुखों और लोभ के लिए अपने बच्चों या लड़कियों को बेचने या दान देने से बचने का सन्देश दर्शकों को देना मुख्यत: नाटक का उद्देश्य रहा।
लड़की अब इस जंजाल से निकलना चाहती है लेकिन उसे रास्ता नहीं सूझता है। ऐसे में वो हिम्मत नहीं हारती है, साहस और आत्मविश्वास के बल पर वह इस जंजाल से निकलने में कामियाब होती है और इसी के साथ नाटक का अंत होता है। नाटक में भौतिक सुखों और लोभ के लिए अपने बच्चों या लड़कियों को बेचने या दान देने से बचने का सन्देश दर्शकों को देना मुख्यत: नाटक का उद्देश्य रहा।
इस नाटक में समाज के अनैतिक चरित्रहीन पक्ष को निर्देशक ने मंच पर बखूबी प्रस्तुत किया। नाटक के दौरान मंच पर सुविधा दुग्गल, अरविंदर चमक और हरजिंदर टिंकू ने अपने अभिनय कौशल से सभागार में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस नाटक में संगीत संचालन में मदनपाल और विश्वजीत ने, प्रकाश परिकल्पना में रुपिंदर सिंह और अमरबीर सिंह ने, मेकअप में विक्की ने सहयोग किया।