भेल सूत्रों के अनुसार जल्द ही तकनीकी मदद के लिए जर्मन और यूएसए की कंपनी के साथ समझौता होने जा रहा है। इस पहले भेल के सीएमडी और आला अफसर विदेश दौरा कर चुके है। पहले भी देश की पहली विदेशी बंदूक मोबाइल गन के अलावा फौज के लिए टैंक का निर्माण भेल द्वारा किया जा चुका है।
सबसे पहले भोपाल में बनाया गया था टैंक
गौरतलब हैकि भोपाल यूनिट में सबसे पहले भारतीय फौज के लिए आधुनिक सुरक्षा टैंक का निर्माण किया गया था। हालांकि भारत सरकार की सुरक्षा नीति के तहत इन हथियार के निर्माण के दौरान इसे कॉनफिडेंसिल रखा जाता है कि कहां पर कौन सुरक्षा उपकरणों का निर्माण हो रहा है। पावर के सेक्टर के बाद भेल हथियार निर्माण का कार्य पिछले पांच साल से कर रहा है। इससे पहले भी कई पिस्टल और राइफल के पार्ट तैयार किए गए है, जिन्हें अन्य फैक्ट्रियों में फायनल कर रक्षा मंत्रालय को सौंपा रहा है।
विदेशी कंपनियों से ली जाएगी तकनीकी मदद
जर्मनी सेना में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भारत में तैयार करने के लिए जर्मनी की कंपनियों से भी तकनीकी मदद ली जाएगी। इस कार्य के लिए भेल और विदेशी कंपनियों के बीच जल्द ही करार होने की उम्मीद है। हाल ही में जर्मनी कंपनियों से बीएचईएल के चेयरमैन अतुल सोबती और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने मुलाकात की है। इस दौरे के बाद संभावना जताई जा रही है कि जर्मनी की कंपनियां हथियारों के पेटेंट्स भारत की कंपनी बीएचईएल को देने के लिए एमओयू करने जा रही है, जिसके बाद भेल जर्मनी की तकनीकों की मदद से हथियार तैयार करेगा।
– विनोदानंद झा, प्रवक्ता भेल भोपाल