डायरेक्टर का कहना है कि बैले नाट्य वाल्मिकी और बंगाल की कृतिवास रामायण पर आधारित है। निराला ने अपनी पत्नी को आरती गाते देख 20 दिन में इन कविताओं को तैयार किया। उन्हीं कविताओं में से 16 कविताओं पर बैले तैयार किया गया। कृतिवास रामायण में राम और रावण के पहले युद्ध में राम हार जाते हैं। शक्ति की पूजा के बाद उन्हें विजयी हासिल होती है। एक घंटे पंद्रह मिनट के इस नाटक में 35 कलाकारों ने ऑनस्टेज अभिनय किया है। डायरेक्टर के अनुसार पहली मूर्ति पूजा राम ने ही की थी।
108 कमल पुष्प से की पूजा बैले की शुरुआत राम-रावण युद्ध से होती है। हार के कारण वह उदास हो जाते हैं। वनवासी राम को इस स्थिति में देख हनुमान क्रोधित होकर भगवान शंकर के पास जाते हैं। वे मां पार्वती से कहते हैं कि अत्याचारी रावण का आप साथ क्यों दे रही हैं। पार्वती मां अंजना का रूप धरकर हनुमान का गुस्सा शांत करती है। इधर, राम के शिविर में जामवंत कहते हैं कि हे राम शक्ति की करो मौलिक कल्पना, छोड़ दो समर जब तक सिद्धि न हो रघुनंदन…।
राम इस प्रस्ताव पर सहमति जताकर हनुमान को 108 कमल पुष्प की व्यवस्था करने को कहते हैं। राम कठोर पूजा में लीन हो जाते हैं। दुर्गेश नंदिनी एक कमल चुरा लेती हैं। राम को याद आता है कि उनकी मां कौशल्या उन्हें राजीव नयन कहकर बुलाती थी। वे तर्कश से तीर निकालकर स्वयं की आंखों पर चलाने जाते हैं तभी मां दुर्गा उन्हें रोककर शक्ति देती है। राण युद्ध जीत जाते हैं।
हर युग में हारेगा आतंकवाद नाटक मंचन से पहले शहीदों को कश्मीर के आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों को शृंद्धाजलि दी गई। इस दौरान कलाकारों ने कहा कि राम ने रावण का वध कर बुराई का नाश किया था। हर युग में आतंकवाद और बुराई की हार होगी। डायरेक्टर ने बताया कि उन्होंने यह नाटक शहीदों की समर्पित किया है।