अपनी मांगों पर अड़ी आशा कार्यकर्ता
राजधानी में पिछले सालों से आशा कार्यकर्ता द्वारा समान वेतनमान और सुविधाओं की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके पहले भी राजधानी के नीलम पार्क में आशा कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया था। कार्यकर्ताओं का कहना है कि गांव-गांव जाकर अपनी सेवाएं दे रही हूं, लेकिन इसके बदले सरकार मुझे प्रतिमाह मात्र एक हजार रुपए दे रही है। ऐसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है।
अबतक नहीं पूरी हुई मांगें
गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता संगठन ने कई दिनों से नीलम पार्क में प्रदर्शन कर रही है। सुबह 11 बजे से शुरू हुए धरना-प्रदर्शन में दोपहर होते-होते सैकड़ों की तादाद में प्रदर्शनकारी इकट्ठ हो जाते हैं। मप्र आशा उषा सहयोगिनी कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व में बताया था कि प्रदर्शन में मप्र के 51 जिलों से आशा कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल हुई है। यह संख्या समय के साथ और बढ़ती जाएंगी। मुख्य मांगों के बारे में उन्होंने बताया कि एक आशा सहयोगी को 15 हजार और आशा कार्यकर्ता को 10 हजार रुपए वेतन फिक्स किया जाए और सभी आशा और सहयोगी को सरकारी कर्मचारी बनाया जाए।
चुनाव पर पड़ेगा असर
मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव है, सभी राजनैतिक पार्टियों ने इसके लिए कमर कस ली है। लेकिन प्रदेश की जनता में और विभिन्न विभागों के कार्यकर्ताओं में सरकार के खिलाफ गुस्सा है। आशा, ऊषा एवं आशा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं भी अपने विभिन्न मांगो को लेकर सालों से विरोध कर रही है। एक तरफ प्रदेश सरकार पूरे मप्र में पुन: अपनी सरकार लाने में जुटा हुआ है वहीं दूसरी तरफ सरकार इन कार्यकर्ताओं कि न्यायोचित मांगो को पूरी करने के मूड में नजर नहीं आ रही है। इससे जानकारों का कहना है कि चुनाव पर भी असर पड़ सकता है।