दरअसल, मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की ताजपोशी उमा भारती के पद छोड़ने के बाद हुआ था। कर्नाटक के एक मामले में उमा भारती के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है। उसके बाद हुआ कि उमा की उत्तराधिकारी प्रदेश में कौन होंगी। उसके बाद उमा भारती को लगा कि बाबूलाल गौर बेहतर विकल्प हो सकते हैं कि क्योंकि पूरे प्रदेश में उनका कोई जनाधार नहीं हैं। जब मैं उस मामले में बरी हो जाऊंगी उसके बाद फिर से सीएम पद की कुर्सी पर काबिज हो जाऊंगा।
उमा भारती ने उन्होंने गंगाजल हाथ में देकर कसम खिलाई थीं कि वह जब कहेंगी तो सीएम पद की कुर्सी छोड़नी होगी। लेकिन उमा जब लौटीं तो गौर ने कुर्सी नहीं छोड़ी। उसके बाद उमा भारती बाबूलाल गौर से नाराज भी हो गईं। दोनों के बीच तल्खियां बनी रहीं।
जेटली ने कहा कि छोड़नी होगी कुर्सी
29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर को कुछ विवादों में नाम सामने आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। अरुण जेटली ने उन्हें इस्तीफे से पहले फोन कर बता दिया था कि पार्टी नेतृत्व ने फैसला लिया है कि आपको सीएम पद की कुर्सी छोड़नी होगी। साथ ही उन्होंने यह बता भी दिया था कि आपकी जगह शिवराज सिंह लेंगे। पार्टी ने यह फैसला कर लिया है।
29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर को कुछ विवादों में नाम सामने आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। अरुण जेटली ने उन्हें इस्तीफे से पहले फोन कर बता दिया था कि पार्टी नेतृत्व ने फैसला लिया है कि आपको सीएम पद की कुर्सी छोड़नी होगी। साथ ही उन्होंने यह बता भी दिया था कि आपकी जगह शिवराज सिंह लेंगे। पार्टी ने यह फैसला कर लिया है।
विधायकों की रायशुमारी जरूरी थी
पार्टी ने फैसला ले लिया था कि मध्यप्रदेश के अगले सीएम शिवराज सिंह चौहान होंगे। गौर के इस्तीफे के बाद विधायकों से रायशुमारी के लिए अरुण जेटली, प्रमोद महाजन और राजनाथ सिंह भोपाल पहुंचे। पार्टी में गुटबाजी की वजह से बगावत की आग धधक रही थी। कई गुट शिवराज को आसानी से स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। जेटली ने सभी को मनाया और शिवराज के नाम पर मुहर लगवाई। उसके बाद 4 दिसंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हुई। वहीं, बाद में बाबूलाल गौर शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री भी बने।
पार्टी ने फैसला ले लिया था कि मध्यप्रदेश के अगले सीएम शिवराज सिंह चौहान होंगे। गौर के इस्तीफे के बाद विधायकों से रायशुमारी के लिए अरुण जेटली, प्रमोद महाजन और राजनाथ सिंह भोपाल पहुंचे। पार्टी में गुटबाजी की वजह से बगावत की आग धधक रही थी। कई गुट शिवराज को आसानी से स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। जेटली ने सभी को मनाया और शिवराज के नाम पर मुहर लगवाई। उसके बाद 4 दिसंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हुई। वहीं, बाद में बाबूलाल गौर शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में मंत्री भी बने।