रेलवे दो एमजीडी कच्चा पानी तालाब से लेता है और खुद फिल्टर करता है। यहां निगम कुछ नहीं कर सकता, पानी खत्म हुआ तो रेलवे को खुद का इंतजाम करना होगा।
भेल को दिए जाने वाले साढ़े छह एमजीडी पानी में से दो एमजीडी की कटौती की जा रही है।ये तीन एमजीडी तक सीमित की जा सकती है।
केरवा डैम में भी पानी तेजी से कम हो रहा है। यहां फिलहाल रोजाना 30 मिनट पानी दिया जा रहा है, आगामी समय में ये एक दिन छोड़कर दिया जा सकता है।
नए शहर में कोलार और नर्मदा से जलापूर्ति है, लेकिन दोनों ही जगह से पानी पर्याप्त नहीं आ रहा। फिलहाल 30 मिनट रोजाना रोजाना पानी दिया जा रहा है। संभव है बारिश के एक माह पहले यहां एक दिन छोड़कर जलापूर्ति की जाए।
भेल, रेलवे जैसे संस्थानों के लिए अन्य स्रोतों से जलापूर्ति सुनिश्चित कराते।
पुराने शहर के बड़ा तालाब से जलापूर्ति वाले क्षेत्रों को नर्मदा, कोलार लाइन से जोड़ देते।
लीकेज पर मॉनिटरिंग कर उसे तुरंत दुरूस्त करने की विशेष टीम गठित करनी थी।
ओवरहेड टैंक के ओवरफ्लो होने पर पानी की बर्बादी को रोकने के उपाय करने थे।
निर्माण कार्य या मिट्टी परीक्षण के लिए खुदाई में टूटने वाली लाइन पर कड़ा रूख अपना कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराना थी।
नोट: इसमें से इंजीनियरों ने बीते महिनों में कोई काम नहीं किया।