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सिंध नदी में खनन कर रहे लिफ्टर जलाए और आधे घंटे बाद माफिया ने फिर उतारे

locationभिंडPublished: Feb 10, 2019 11:35:40 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

अवैध परिवहन में लिप्त वाहनों को राजसात नहीं किए जाने से फलफूल रहा अवैध रेत खनन

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सिंध नदी में खनन कर रहे लिफ्टर जलाए और आधे घंटे बाद माफिया ने फिर उतारे

भिण्ड. प्रतिबंध के बाद भी जिले में सिंध नदी से रेत का अवैध खनन और परिवहन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। अवैध खनन में लिप्त थ्रीडी, पॉकलेन मशीनों और परिवहन में लगे ट्रक, डंपर तथा टै्रक्टर ट्रॉलियों को राजसात नहीं किए जाने से ये कारोबार बंद नहीं हो पा रहा है। हालांकि रविवार को छापामार कार्यवाही में लहार पुलिस ने सिंध नदी में खनन कर रहे एक लिफ्टर के प्लास्टिक के पाइप जला दिए इसके आधे घंटे बाद ही माफिया ने फिर से लिफ्टर नदी में उतारकर खनन शुरू कर दिया।
प्रशासन द्वारा खदानों पर छापामार कार्यवाही महज दिखावे के लिए किया जाना प्रतीत हो रही हैं। हैरानी की बात ये है कि खनिज अमला हो या पुलिस बल मौके पर अवैध खनन करते पकड़े गए वाहनों तथा मशीनों को राजसात किए जाने की कार्यवाही नहीं की जा रही है। यही वजह है कि माफिया जुर्माने की राशि अदा कर फिर से सिंध में मशीन और वाहनों को सक्रिय कर देते हैं।
पर्यावरण को उत्पन्न हो रहा खतरा : सिंध नदी में दिन रात हो रहे अवैध खनन से जहां जलीय जीवों को संकट उत्पन्न हो गया है वहीं पर्यावरण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा भी बढ़ता जा रहा है। हथियारों के बूते पर माफिया न केवल सिंध नदी बल्कि आसपास स्थित किसानों के खेतों से भी जबरन खनन कर रहे हैं। जिन खेतों में रेत नहीं है उनमें रेत के परिवहन के लिए रास्ता बना लिया है। भयभीत किसान माफिया के खिलाफ शिकायत करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जिन किसानों ने आवाज उठाने की कोशिश की उन्हें या तो झूठे अपराधों में फंसा दिया गया या फिर मारपीट कर जान से मार देने का भय दिखाकर चुप कर दिया गया। आलम ये है कि कोई भी माफिया के खिलाफ शिकायत करने का साहस नहीं जुटा पा रहा है।
सिंध में २५ से ३० फिट गहरे किए गड्ढे

इन दिनों लहार क्षेत्र की मटियावली, बड़ेतर व अन्य रेत खदानों पर प्रतिबंध के बाद भी २३ लिफ्टर सिंध नदी की धार को चीरते हुए २५ से ३० फीट गहराई से रेत निकाल रहे हैं। यहां बतादें कि ये लिफ्टर जहां नदी का स्वरूप बिगाडऩे का काम कर रहे हैं वहीं नदी में जगह-जगह हुए गहरे गड्ढे स्थानीय ग्रामीणों के लिए बड़ा खतरा भी बन गए हैं। नदी के गड्ढों में फंसकर न केवल पालतू पशु बल्कि लोगों को भी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। पिछले चार साल में नदी के गड्ढे में फंसकर पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
राजनीतिक संरक्षण बन रही कार्रवाई में वजह

बताना मुनासिब है कि अवैध खनन में सक्रिय रेत माफिया को लंबे समय से राजनीतिक संरक्षण होने के चलते प्रशासनिक अमला भी सीधे तौर पर हाथ डालने से बचता नजर आता है। कई बार स्थिति ऐसी भी निर्मित होतीं हैं कि खनिज तथा पुलिस बल को खदान पर अवैध खनन करते थ्रीडी, पॉकलेन आदि मशीनें पकड़ लेने के बाद भी बिना कार्यवाही के छोडक़र वापिस लौट जाना पड़ता है। सिंध नदी किनारे के थानों के बाहर से रेत का अवैध परिवहन कर रहे वाहन सिस्टम के तहत निकल रहे हैं। ऐसे में वह लहार थाना हो, रौन हो या फिर ऊमरी व भारौली।
-स्टाफ की कमी होने के चलते सभी खदानों पर निरीक्षण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में माफिया सक्रिय हो जाते हैं। अवैध खनन करते पाए जाने वाले मशीन व वाहनों के खिलाफ राजसात के लिए कार्यवाही प्रस्तावित करेंगे।
आरपी भदकारिया, जिला खनिज अधिकारी भिण्ड

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