सर्दी से फसल चौपट माण्डल. कड़ाके की सर्दी से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई है। पपीते सहित अन्य फलों व जीरे की फसल को नुकसान होने लगा है। कस्बे के भीलवाड़ा मार्ग पर उपखण्ड कार्यालय के सामने किसान सांवरमल गाडरी के दो बीघा पपीते की खेती सर्दी के कारण खराब हो गई है।
सर्दी से बदला खानपान तेज सर्दी के कारण खानपान बदल गया है। घरों में दाल-ढोकले, घाट, कुलत, गाजर का हलवा आदि बन रहे हैं। वहीं तिल्ली से बनी वस्तुओं की मार्केट में मांग ज्यादा है। लोग सर्दी से बचने के लिए घरों के बाहर अलाव ताप रहे हैं।
फसलों की सेहत शीतलहर से फसलों की सेहत भी बिगडऩे लगी है। ज्यादातर फसलों की बढ़वार रुक गई है। साथ ही पालावृष्टी से बचाने के लिए किसानों को बार-बार सिंचाई करनी पड़ रही है। किसानों को ज्यादा चिंता सरसों व सब्जियों की फसलों को लेकर है। जीरो डिग्री तापमान में अगेती बुआई की सब्जियों की नर्सरी ठंड की वजह से झुलसने लगी है। फ्लावर अवस्था में आई सरसों की फसल में जीव नहीं पड़ रहा है। गेहूं, चना, सरसों व जौ की फसल में भी ज्यादा ठंड में पिला पडऩे की संभावना बढ़ गई है। तेज सर्दी के कई खेतों में पाला पड़ा। जिसके चलते फसलों में नुकसान हो गया और फसलें झुलस गई। वहीं खेतों, पाइपों, घर से बाहर रखे बर्तनों में बर्फ जमी हुई देखी गई। तेज सर्दी में पाले की मार से फसलें खराब होने लगी हैं। खेतों में रोजाना सुबह फसलों पर ओस की बूंदें ठहर रही हैं। ऐसे में शीतलहर तेज होने, बर्फ जमने व पाले जैसी स्थिति में फसलों को और नुकसान पहुंच सकता है।
बच्चों के लिए खतरनाक है सर्दी
गिरता पारा बच्चों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। अभिभावकों को बच्चों के रहन-सहन व खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को तो एेसे मौसम में अधिक हीटलोस होता है। परिजनों को मालिश नहीं करनी चाहिए और नहलाने से बचना चाहिए। गरम वस्त्रों के बिना घर से बाहर नहीं निकलने दें। छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी फल, जूस, छाछ, दही, गाजर व मूली खाने को नहीं देने चाहिए। तीखी सर्दी से सर्दी, जुकाम व बुखार का खतरा रहता है। रात को घरों में सिगड़ी के ताव से बच्चों को बचाना चाहिए।
गिरता पारा बच्चों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। अभिभावकों को बच्चों के रहन-सहन व खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को तो एेसे मौसम में अधिक हीटलोस होता है। परिजनों को मालिश नहीं करनी चाहिए और नहलाने से बचना चाहिए। गरम वस्त्रों के बिना घर से बाहर नहीं निकलने दें। छह वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी फल, जूस, छाछ, दही, गाजर व मूली खाने को नहीं देने चाहिए। तीखी सर्दी से सर्दी, जुकाम व बुखार का खतरा रहता है। रात को घरों में सिगड़ी के ताव से बच्चों को बचाना चाहिए।
डॉ. सुनील गोयल, शिशु रोग विशेषज्ञ