महिलाएं आगे, पुरुष पीछे
प्रदेश में पांच साल में कुल १३ लाख ८१, ८१५ नसबंदियां हुई। इनमें ३ लाख ६३,२७१ महिलाएं व १८, ५४४ पुरुषों ने नसबंदी कराई। आठ ऐसे जिले शामिल हैं, जिनमें पूरे पांच साल में अधिकतम १०० पुरुषों ने भी नसबंदी नहीं कराई। खास बात यह है कि इन्हीं जिलों में महिलाओं की संख्या हजारों में हैं।
पुरुष नसबंदी भी फेल
चिकित्सा विभाग के अनुसार प्रदेश में पुरुष नसबंदी के १७० केस फेल हुए। इनमें सर्वाधिक चूरू में ५७, कोटा में ११ केस है। हनुमानगढ़ व जयपुर प्रथम ९-९, अलवर व झुंझुंनू ८-८,अजमेर ७, भीलवाड़ा व चित्तौडग़ढ़ में ६-६, बीकानेर, सवाई माधोपुर, पाली, सीकर जोधपुर, व जयपुर द्वितीय ४-४, प्रतापगढ, गंगानगर व बारा ३-३, भरतपुर, नागौर व बांसवाड़ा २-२, बाडमेर, सिरोही, बूंदी, जालौर, राजसमन्द १-१ केस फेल हुए। इन्हें ५१ लाख रुपए मुआवजा दिया गया।
इसलिए नसबंदी नहीं कराते पुरुष
पुरुषों में यह भ्रान्तियां हैं कि नसबंदी से शारीरिक कमजोरी या वैवाहिक जीवन में बाधा आती है, जबकि ऐसा नहीं है। जिले में इस साल अब तक १५ पुरुषों ने नसबंदी कराई है।
सौ में २-३ नसबंदी हो सकती है फेल
नसबंदी के दौरान हर तरह की सावधानी रखी जाती है। उसके बाद भी सौ में से २ से ३ नसबंदी फेल होती है। इसका मुख्य कारण रिंग स्लीप होना या सूजन आना है। नसबंदी फेल होने पर ३० हजार रुपए का बीमा क्लेम दिया जाता है। किसी डॉक्टर को अब तक नोटिस नहीं दिया गया है।
डॉ. मुस्ताक खान, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (प.क)