Army recruitment कर्नल सिरोही का कहना है कि वर्तमान जिस तरह की सेना दौड़ हो रही है। उसमें युवाओं को हर तरह की सुविधा मिल रही है। जबकि उनके समय यानी २० से २२ साल पहले होने वाली दौड़ में न तो इस तरह का ट्रेक हुआ करता था, ना ही टेंट, पंखे व कूलर होते थे। दौड़ घास व पत्थरों के बीच होती थी। जितनी सुविधा युवाओं को मिल रही है उतना ही वे कमजोर होते जा रहे है। Army recruitment युवा चलने की प्रैक्टिस नहीं करते। जब वो सामान्य भी कहीं चलते हैं तो सही ढंग से नहीं चलते। कूदते हुए और टेढ़े मेढ़े चलते हैं या फिर एक टांग पर कूद-कूदकर चलने का प्रयास करते हैं। यह बिलकुल गलत है। युवा हमेशा सही ढंग से ही चलने का प्रयास करें। गलत प्रैक्टिस से घुटने बाहर निकल जाते हैं और चलते हुए पैर टेढ़े हो जाते हैं। इसके लिए जब भी समय हो बिलकुल सावधान की अवस्था में आर्मी चाल चलकर प्रैक्टिस करें और बैठकर दोनों पैरों को सीधे करके पंजे मिलाकर घुटने दूर रखने का प्रयास करें। सामान्य प्रैक्टिस करने से ही प्रतिभागी इस समस्या से निजात पा सकते हैं। सेना भर्ती के लिए १०-१५ दिन की प्रैक्टिस से पास नहीं हो सकते है। इसके लिए कड़ी मेहनत भी करनी होती है। प्रतिदिन एक घंटे की दौड़ लगाने की प्रैक्टिस होनी चाहिए।
Army recruitment कर्नल का मानना है कि कई बार युवा दौड़ लगाने के कुछ घटे पहले खाकर आते है। जबकि ऐसी दौड़ में हिस्सा लेने से कम से कम तीन से चार घंटे पहले ही खाना चाहिए। पानी भी पीना है तो कम मात्रा में। दौड़ के समय प्रथम २०० मीटर की दौड़ सबसे अहम होती है। उस समय जितने युवा पीछे होंगे वह और पीछे होते जाएंगे।