प्रकरण के अनुसार 18 नवम्बर 2018 को एक महिला ने बनेड़ा थाने में मामला दर्ज कराया। महिला ने बताया कि उसकी साढ़े सोलह साल की बेटी पढ़ाई छोडऩे से घर पर अकेली रहती थी। १७ नवम्बर को बेटी लापता हो गई। शाम को लौटने पर घर नहीं मिलने पर तलाश की, लेकिन पता नहीं चला। किशोरी ने सोने और चांदी के गहने पहन रखे थे। इस बीच पता चलने पर हरीशचन्द्र के अपहरण कर ले जाने का पता चला। इसमें दो जनों ने हरीश का सहयोग किया। बनेड़ा पुलिस ने किशोरी को छुड़वाकर हरीशचन्द्र समेत तीन जनों को अपहरण और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपियों के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया गया। विशिष्ट लोक अभियोजक श्रुति शर्मा ने अभिुयक्त के खिलाफ गवाह व दस्तावेज पेश कर आरोप सिद्ध किया। अदालत ने अपहरण के आरोप से हरीश को दोषमुक्त कर दिया जबकि पॉक्सो और बलात्कार में दोषसिद्ध करते हुए दस साल की सजा सुनाई। वहीं दो जनों को पूरे मामले से दोषमुक्त कर दिया गया।