जीवनदायिनी बनास नदी की दुर्दशा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरेआम आवहेलना करते हुए जीवनदायिनी बनास नदी की बजरी माफियाओं ने बेखौफ होकर नदी की बजरी का अवैध दोहन कर स्वरूप बिगाड़ दिया। गर्मी के मौसम में नदी के तट पर खीरा ककड़ी व सब्जियों की पैदावार कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले परिवारों के सामने आज संकट के बादल मण्डराने लगे हैं। बजरी पर प्रशासन अंकुश लगाने में बेअसर साबित हुआ, जिसका खामियाजा आम जनता एवं नदी से जुड़े ग्रामीणों को भुगतना को बाध्य होना पड़ रहा है।
बनास बचाओ समिति ने भी की शिकायत बजरी के अवैध दोहन व बेचने एवं दिन — रात रलायता से चेनपुरा तक सरकारी जमीन पर बजरी के अवैध स्टॉक लगाने के खिलाफ बनास बचाओ समिति के संयोजक महावीर दाधीच ने बताया कि बनास के बिगड़ते अस्तित्व को लेकर हमने लोकायुक्त जयपुर शिकायत की परन्तु स्थानीय पुलिस एवं ब्लॉक स्तर के अधिकारियों की अनदेखी से नदी का निरन्तर अस्तित्व बिगड़ता गया जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं देने से हमें निराशा मिली। वह नदी में अवैध रूप से किए जा रहे बजरी खनन पर अंकुश नहीं लगा।