इसके साथ ही प्रसिद्ध डाला छठ का चार दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हो गया। शहर में जलस्त्रोतों पर श्रद्धालुओ का तांता सुबह चार बजे से लगने लगा। सुबह पांच बजे तक पूरे घाट दीपों से जगमगा रहे थे। व्रती और उनके परिजन छठ मैया के गीत गा रहे थे। बच्चे पटाखे छोड़ रहे थे।
सुबह सूरज निकलते ही अघ्र्य दिया गया। कुछ लोग प्रसादी के साथ जल अर्पित कर रहे थे तो कुछ दूध से अघ्र्य अर्पित किया गया। उसके बाद अंकुरित चना और दही का अध्र्य दिया गया। पूजा के उपरांत व्रती से परिवार और आसपास की महिलाएं आशिर्वाद स्वरूप मांग में सिंदूर लगाया। व्रती के हाथ से प्रसादी ग्रहण कर घर को लौटे।
महिलाएं घर आकर शुद्ध जल और निम्बू पानी पीकर व्रत खोला, फिर भोजन ग्रहण किया। इसके चलते शहर के चारों स्थान अलसुबह ही दियो की लडिय़ों से जगमग हो उठे थे। पूर्वांचल जन चेतना समिति सदस्यों ने भी अध्र्य दिया। पूर्व न्यायाधीश गिरीराज पाण्डे, अपर जिला न्यायाधीश चन्द्रप्रकाश सिंह, अर्चना दुबे, सुनील झा, कमलेश झा, कृष्णानन्द महाराज, अरुण राय, दयाराम यादव, राजेश गुप्ता, महेश चौधरी, मोनू दुबे, निरंजन, दिनेश कामत, मधु श्रीवास्तव, संगीता देवी, विभा देवी, धर्मेन्द्र भारती, जयन्ती देवी, रंजना झा मौजूद थे।