script

शब्दभेदी बाण चलाने वाले छत्तीसगढ़ के एकलौते धनुर्धर कोदू राम नहीं रहे, विद्या देख दांतों तले उंगली दबाते थे लोग

locationभिलाईPublished: Sep 19, 2018 04:43:29 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के एकलौत शब्दभेदी बाण चलाने वाले धुनर्धर कोदू राम महज प्रसंग सुनकर निशाना साधने में माहिर थे।

patrika

शब्दभेदी बाण चलाने वाले छत्तीसगढ़ के एकलौते धनुर्धर कोदू राम नहीं रहे, विद्या देख दांतों तले उंगली दबाते थे लोग

भिलाई. छत्तीसगढ़ के महान हस्ती, शब्दभेदी बाण चलाने में महारत हासिल ग्राम भिंभौरी निवासी कोदू राम वर्मा का 94 साल की उम्र में निधन हो गया। स्वामी सूजनानंद (हीरालाल शास्त्री) के शिष्य कोदूराम आकाशवाणी, दूरदर्शन के निर्गुणी काया खंडी छत्तीसगढ़ी भजन के प्रसिद्ध गायक रहे। अद्भुत धनुर्विद्या और कला के लिए सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था। वे कर्मा नृत्य के गुरु रहे। उनके सिखाए कलाकारों ने छत्तीसगढ़ सहित देशभर में धूम मचाते हुए कर्मा को जन-जन में पहुंचाया।
प्रसंग सुनकर साधते थे निशाना
छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के एकलौत शब्दभेदी बाण चलाने वाले धुनर्धर कोदू राम महज प्रसंग सुनकर निशाना साधने में माहिर थे। उनकी अद्भुत, विलक्षण विद्या देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा देते थे। बाण चलाने से पहले उनके आंखों में पट्टी बांधकर लक्ष्य की दिशा परिवर्तित कर दी जाती थी। लोगों की आवाज सुनकर वे सैकड़ों कोस दूर लक्ष्य पर सटीक निशाना साध देते थे।
मंजे हुए लोक कलाकार थे कोदू राम
शब्दभेदी बाण चलाने वाले कोदू राम एक मंझे हुए कलाकार भी थे। छत्तीसगढ़ की पांरपरिक लोक कला नाचा-गम्मत में महिला का किरदार निभाकर वे दर्शकों को खूब गुदगुदाते थे। वे अंतिम समय पर कला की साधना में लीन रहे। उनके शब्दभेदी बाण चलाने की कला देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते थे।
patrika
ओलंपिक तीरंदाज ने की थी प्रशंसा
शब्द भेदी बाण चलाने वाले कोदूराम की अद्भुत विद्या देखकर ओलंपिक तीरंदाज लिम्बाराम ने उनकी प्रशंसा की थी। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि भारत के तीरंदाजों को उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए । इस विधा के कारण उन्हें प्रदेश के साथ ही देश में विशेष ख्याति मिली। दूरदर्शन एवं अनेक चैनलों व विदेशी चैनलों के द्वारा भी उनकी इस बाण विद्या की वीडियोग्राफी की गई।
अंतिम समय तक नहीं लगा थ चश्मा
कोदूराम केवल बाण ही नहीं चलाते थे, वे लोकमंच के विलक्षण कलाकार भी थे। लगातार कई घण्टे वे झालम करमा दल के तगड़े युवा आदिवासी साथियों के साथ करमा नृत्य करते थे। उन्हें अंतिम समय तक चश्मा नहीं लगा था। पीत वस्त्रधारी, सन्यासी से दिखने वाले कोदूराम वर्मा का करमा दल देश के शीर्ष करमा नृत्य दल था। वहीं खंजरी पर कबीर भजन गाने वाले वे छत्तीसगढ के सिद्ध कलाकारों में से एक थे।

ट्रेंडिंग वीडियो