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GM ने इंजीनियरों से पूछा रेलवे के SOR से PWD के एसओआर में अंतर क्यों है? CM से करेंगे शिकायत

locationभिलाईPublished: May 26, 2018 09:56:51 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

नेहरूनगर अंडर ब्रिज के निर्माण में रेलवे और लोक निर्माण विभाग के शेड्यूल ऑफ रेट (एसओआर) में अंतर है। रेलवे इसकी जांच कराएगा।

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GM ने इंजीनियरों से पूछा रेलवे के SOR से PWD के एसओआर में अंतर क्यों है? CM से करेंगे शिकायत

भिलाई. नेहरूनगर अंडर ब्रिज के निर्माण में रेलवे और लोक निर्माण विभाग के शेड्यूल ऑफ रेट (एसओआर) में अंतर है। रेलवे इसकी जांच कराएगा। साथ ही एसओआर रेट से अधिक पर ठेका दिए जाने की शिकायत रेलवे महाप्रबंधक मुख्यमंत्री रमन सिंह से करेंगे। रेलवे महाप्रबंधक सुनील सिंह जोइन शुक्रवार को नेहरूनगर के निर्माणाधीन अंडरब्रिज के कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
इस दौरान उन्होंने लोक निर्माण सेतू संभाग के इंजीनियरों से पूछा कि रेलवे के एसओआर से लोक निर्माण विभाग का एसओआर में अंतर क्यों है? लोक निर्माण सेतू संभाग के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि पीडब्ल्यूडी कार्य की प्रकृति और आइटम के अनुसार रेट तय करता है।
रेट के अनुसार ही विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार किया जाता है। कई बार स्वीकृति और टेंडर की प्रक्रिया में समय लगता है। ऐसी स्थिति में ठेकेदार मार्केट रेट के अनुसार गिट्टी, छड़, सीमेंट और मजदूरी का कास्ट वैल्यू तय रेट ऑफर करते हैं। उनके ऑफर रेट को निविदा कमेटी स्वीकृति देती है।
इस जवाब से असंतुष्ट रेलवे महाप्रबंधक ने ठेका की दर में काफी अंतर को लेकर वह सीएम डॉ रमन सिंह से चर्चा करने की बात कही। अब सवाल यह उठ रहा कि आखिर जीएम ने ऐसा सवाल क्यों किया? अधिकारियों से सवाल पूछने के पीछे जीएम का कहना यह था कि पीडल्यूडी पोर्शन के कार्य का ठेका एसओआर से अधिक में होता है। इस वजह से ठेकेदार रेलवे पोर्शन का काम नहीं लेना चाहता। इसके कारण हर जगह रेलवे पोर्शन के कार्य में विलंब होता है।
दरअसल में पीएडब्ल्यूडी एसओआर के अनुसार पीडब्ल्यूडी पोर्शन में नेहरू नगर अंडरब्रिज निर्माण का प्रोजेक्ट तैयार किया। तब लागत 8.73 करोड़ रुपए थी। दो साल बाद ठेका हुआ। तो एसओआर से लगभग ४५ फीसदी अधिक दर लगभग १३ करोड़ में ठेका हुआ। रेलवे पोर्शन में ओवर ब्रिज निर्माण के लिए ठेकेदार तैयार नहीं हुआ। तीन बार टेंडर बुलाने के बाद मुंबई के घई कंस्ट्रक्शन को ठेका दिया गया।
10 घंटे लगेंगे गर्डर लॉन्चिंग में, ट्रेनों को करना होगा नियंत्रित
जीएम को इंजीनियरों ने बताया कि 30 टन वजनी स्टील्स के रिलीविंग गर्डर को लांच करने में १० घंटे लगेंगे। मिडिल लाइन और डाउन लाइन पर स्टील्स के रिलीविंग गर्डर लांच करने के बाद ही 12 मीटर लंबा, 13.65 मीटर चौड़ा, 5.05 मीटर ऊंचे पीसीसी को बॉक्स को पुश किया जाएगा। पुशिंग के दौरान पैसेंजर, एक्सप्रेस और गुड्स टे्रनों की गति को नियंत्रित किया जाएगा।
मंत्री ने अगस्त तक पूरा करने के दिए हैं निर्देश
नेहरू नगर अंडरब्रिज के कांक्रीट के पीसीसी बाक्स का पुशिंग धीमी गति से चल रहा है। इस पर लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने नाराजगी जताई थी। अधिकारियों को अगस्त तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद राइट्स ने पीसीसी बाक्स की पुशिंग के लिए रेलवे मंडल से डाउन और मिडिल लाइन पर स्टील्स के गर्डर लॉन्चिंग की अनुमति की मांग की है। अनुमति का मामला रेलवे बोर्ड से संंबंधित है।
महाप्रबंधक सोइन, प्रधान मुख्य इंजीनियर एसके गुप्ता, अपर रेलवे मंडल प्रबंधक एसएस लकड़ा, रायपुर रेलवे मंडल के इंजीनियर आशीष मिश्रा, लाइन इंजीनियर संजय कुमार सिंह, महाप्रबंधक के सचिव हिमांशु जैन सेलून से नेहरू नगर में चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लेने पहुंचे थे।
जहां उन्होंने प्रियदर्शनी परिसर पूर्व की ओर निर्माणाधीन अंडरब्रिज, नेहरू नगर ब्रिज के संबंध में इंजीनियर और ठेकेदारों से लगभग एक घंटा चर्चा की। दो दिनों के अंदर गर्डर लाचिंग का पूरा प्लान मांगा। ताकि रेलवे बोर्ड की बैठक में गर्डर लाचिंग और मेगा ब्लाक के संबंध में चर्चा किया जा सके।
इधर लखनऊ मंडल अंतर्गत रेल दोहरीकरण कार्य के कारण दुर्ग से छपरा चलने वाली सारनाथ एक्सप्रेस को एक सप्ताह के लिए रद्द किया गया है। रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक १५१५९ छपरा से दुर्ग चलने वाली सारनाथ एक्सप्रेस २७ मई से २ जून तक और १५१६० दुर्ग-छपरा एक्सप्रेस २८ मई से ३ जून तक रद्द रहेगी।
दो लोकल ट्रेनों का बदला प्लेटफार्म
आधी रात दुर्ग रेलवे स्टेशन पहुंचे बिलासपुर रेलवे जोन के महाप्रबंधक अपने सेलून में ही रहे। शुक्रवार को सुबह दस बजे वे दुर्ग से बिलासपुर तक की दूरी में बनने वाले ब्रिज का निरीक्षण करने रवाना हुए। उनके आने की सूचना पर स्टेशन में विशेष तैयारी की गई थी। अधिकारी यह मान रहे थे कि जीएम निरीक्षण कर सकते हैं।
जीएम का यह तीसरा प्रवास था। तीनों बार वे सेलून में ही रहे। रात लगभग तीन बजे सेलून प्लेटफार्म नंबर छह पर लाया गया। प्लेटफार्म नंबर 6 पर सेलून होने के कारण उस ट्रैक पर स्टाप का बोर्ड लगाया गया था। रायपुर-दल्लीराजहरा लोकल और रायपुर-दुर्ग लोकल को सुबह प्लेटफार्म क्रमांक एक से रवाना किया। सुबह ९.३० बजे मंडल कार्यालय के दर्जन भर अधिकारी दुर्ग स्टेशन पहुंचे।
सुरक्षा व्यवस्था में तैनात थे जवान
सेलून के स्टेशन पहुंचते ही आरपीएफ और जीआरपी के जवान रात भर सक्रिय रहे। प्लेटफार्म पर सेलून को स्टॉपेज देने के बाद आसपास के क्षेत्र पर विशेष नजर रखी जा रही थी। स्टेशन मास्टर ने खासी तैयारी करवाई थी। सुबह ९ बजे से मिस्टिंग शॉवर को शुरू कर दिया। प्लेट फार्म के पंखे व पानी की सुविधा पर विशेष ध्यान दिया, लेकिन सेलून के ठीक सामने लगी थ्री सीटर स्टील चेयर टूटी थी। प्लेटफर्म पर आते ही जीएम की निगाह चेयर पर पड़ी। लेकिन नजर अंदाज कर निकल गए।

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