स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण भिलाई के सात अस्पतालों को चिन्हित किया है। अधिकारियों का कहना है कि इन अस्पतालों में इलाज का व्यवस्था ठीक है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज पर खर्च ३५ हजार से ५० हजार तक आता है। @Patrika. मरीज गंभीर स्थिति में है तो इलाज का खर्च और बढ़ जाता है। यह सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्योंकि गरीब तबके के लोगों के लिए महंगा इलाज कराना मुश्किल होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर मरीज को स्वाइन फ्लू की पुष्टी होते ही विशेष निगरानी में रखा जाता है।
स्वाइन फ्लू है तो आपात स्थिति के लिए अस्पताल में वेंटीलेटर होना आवश्यक है। जिला अस्पताल में यह इंतजाम नहीं है। आइसीयू के नाम पर केवल एक एसी हाल है। वेंटीलेटर मशीन तो है,लेकिन वह शो पीश रखी है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मरीज को उच्चस्तरीय सुविधा के साथ त्वरित इलाज हो इसलिए चिन्हित प्राइवेट अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के इलाज की व्यवस्था की गई है। @Patrika. अब तक जिले से दो मरीज को रेफर किया है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर स्वाइन फ्लू का मरीज वृद्ध है तो उस अस्पताल में कॉर्डियक स्पेशलिस्ट होना आवश्यक है। कार्डियक उपलब्ध नहीं होने पर एमडी मेडीसिन होना आवश्यक है। जिला स्वास्थ्य विभाग में केवल २ एमडी ही पदस्थ।
सेक्टर-९ में गला दर्द व बुखार से पीडि़त मरीज बीएसपी कर्मचारी गोविंद सिंह जाटव का स्वाइन फ्लू टेस्ट १८ फरवरी को किया गया। १९ फरवरी को बुखार उतरा तो उनको हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। २० फरवरी को दोपहर बाद ३ बजे सुपेला शासकीय हॉस्पिटल ने गोविंद को फोन कर इस बात की पुष्टि कर दी कि स्वाइन फ्लू पॉजिटिव आई है। इसके बाद हॉस्पिटल प्रबंधन ने कहा कि घर के हर सदस्य को वैक्सीन लगेगा। @Patrika. २१ फरवरी को सरकार हॉस्पिटल से २० टेबलेट भेज कर कहा हर सदस्य ५-५ टेबलेट लेगा। जब सेक्टर ९ के डॉक्टर से गोविंद ने पूछा कि मुझे स्वाइन फ्लू पॉजिटिव है, तो उन्होंने कहा कि इलाज कर दिया है जो १० टेबलेट लिखी थी, उससे ठीक हो जाएगा। गोविंद ने कहा वह टेबलेट तो नर्स ने नहीं दी। तब कहा कि सेक्टर-९ हॉस्पिटल जाकर लेकर आ जाओ। इस तरह मरीज फिर हॉस्पिटल जाकर दवा ली और घर सेक्टर-७ लौटा।
रिसाली के कल्पकंचन अपार्टमेंट निवासी बीएसपी के डीजीएम तन्मय सेन की बेटी रोशनी का गुरुवार की सुबह अंतिम संस्कार किया गया। स्वाइन फ्लू की संदिग्ध होने की वजह से सेक्टर 9 अस्पताल ने उसके शव को पूरी तरह पैक कर दिया था।@Patrika. इधर अंतिम संस्कार के वक्त भी एहतियात बरती गई। इस मौत की खबर लगते ही निगम की टीम रोशनी के घर के आसपास केवल दवा छिड़कर कर चली गई।
रोशनी की स्वाइन फ्लू से संभावित मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसके घर या आसपास सर्वे करना भी जरूरी नहीं समझा। @Patrika. जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी कर सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग से कहा है कि स्वाइन फ्लू पॉजिटीव या संभावित मरीज की मौत के बाद उनके घर के मेंबर्स को वैक्सीन लगाएं और आसपास के घरों में सर्वे भी करें ताकि कोई दूसरे व्यक्ति में अगर कोई लक्षण हो तो उसे पहचाना जा सकें।