scriptभिलाई इस्पात संयंत्र की लाइफ लाइन रावघाट पर छा रहे काले बादल | Life Line of Bhilai Steel Plant, Black Cloud Covering at Ravghat | Patrika News

भिलाई इस्पात संयंत्र की लाइफ लाइन रावघाट पर छा रहे काले बादल

locationभिलाईPublished: Jul 22, 2019 11:20:05 am

Submitted by:

Abdul Salam

बीएसपी में उत्पादन के लिए हर माह 30 रेक ओर फाइंस रॉ मटेरियल डिवीजन से आ रहा है। प्रबंधन की साल में 360 ओर फाइंस लेने की योजना है.

BHILAI

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भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र की लाइफ लाइन कहे जाने वाले रावघाट पर काले बादल छा रहे है। बीएसपी bhilai steel plant को 50 साल तक आयरन ओर की आपूर्ति करने वाली दल्ली राजहरा खदान (माइंस) से भी उत्पादन टूट कर ग्राम गिरा है। जिसको देखने के बाद प्रबंधन ने दूसरे खदान का रुख किया है। अब हर दिन ओर फाइंस की आपूर्ति दूसरे खदान से की जा रही है। यह बीएसपी के लिए अच्छी खबर नहीं है। हालात ऐसे ही रहे तो बीएसपी भी निजी हाथों में चले जाएगी। भिलाई इस्पात संयंत्र में उत्पादन के लिए हर माह करीब 30 रेक ओर फाइंस रॉ मटेरियल डिवीजन (आरएमडी) से आ रहा है। इस तरह साल में 360 रेक ओर फाइंस लेने की योजना है। बीएसपी का 7 मिलियन टन एक्सपांशन प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है। अब आयरन ओर की डिमांड करीब 30 फीसदी और बढ़ गई है। यही वजह है कि प्रबंधन को दूसरे खदान की ओर कदम बढ़ाना पड़ रहा है।

नए वित्त वर्ष से शुरू किए लेना

बीएसपी ने ओर फाइंस को मंगवाने का काम नए वित्त वर्ष में अप्रैल 2019-20 से शुरू किया है। इसके पहले इसकी आपूर्ति दल्ली राजहरा खदान से हो जाती थी। बीएसपी की माइंस से आने की वजह से यह सस्ता पड़ता था। प्रबंधन माह में उत्पादन को ध्यान में रखकर रेक मंगवाता है, जब उत्पादन कम होता है, तब माह में 20 रेल ओर फाइंस से काम चल जाता है।
सिंटर बनाने में होता है उपयोग
ओर फाइंस का उपयोग बीएसपी के सिंटर प्लांट में सिंटर का उत्पादन करने में किया जाता है। वहीं ओर लम्स का इस्तेमाल ब्लास्ट फर्नेस में करते हैं। ओर फाइस 20 एमएम से छोटे साइज के आयरन ओर को करते हैं। वहीं 20 एमएम से बड़े आयरन ओर को लम्स कहा जाता है।
इन खदानों से आ रहा ओर फाइंस
बीएसपी में आरएमडी के माध्यम से आ रहे ओर फाइंस जिन खदानों का है, उसमें किरीबुरु, मनोहरपुर और गुवा है। वहीं ओर लम्स अभी भी राजहरा से आ रहा है। प्रबंधन पहले उम्मीद कर रही थी कि समय पर रावघाट से खनन शुरू हो जाएगा, तो दूसरे खदान का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।
उत्पादन की लागत पर पड़ेगा असर
बीएसपी अपने खदान के ओर फाइंस की जगह आरएमडी से लेकर ओर फाइंस का उपयोग उत्पादन में करता है, तो उसका असर लागत के कास्ट पर पडऩा तय है। जिससे मुनाफा पर भी खासा असर पडऩा तय है।
22,52,711 टन फाइंस ओर का हर साल होता है उपयोग
बीएसपी वर्तमान में 35 लाख 56 हजार 966 टन आयरन ओर लम्स एक साल में झरन दल्ली, राजहरा माइंस से ले रहा है। ब्लॉस्ट फर्नेस ग्रेड लम्स तकरीबन 42 लाख 40 हजार 257 टन दल्लीराजहरा से लिया जाता है। इसके अलावा दूसरे प्रदेश से करीब 7 लाख 67 हजार टन आयरन ओर ले रहे हैं। बीएसपी में हर साल 22,52,711 टन, ओर फाइंस का उपयोग करते हैं। जिसे दूसरे खदान से अब ले रहे हैं।
रावघाट पर छा रहे काले बादल
भिलाई इस्पात संयंत्र की लाइफ लाइन रावघाट में उम्मीद के विपरीत खनन का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। रावघाट से उत्पादन शुरू करने से पहले ५० हजार पेड़ की कङ्क्षटग की जानी है। पेड़ों को चिन्हित किया जा चुका है, लेकिन कटिंग का काम पिछले एक साल से अटका हुआ है। वन विभाग को यहां के पेड़ों की कटाई करवाना है। अब तक इस काम को शुरू नहीं किया जा सका है।
रावघाट के माइनिंग क्षेत्र में काटे जाना है 50 हजार पेड़
रावघाट के आयरन ओर ब्लाक ए एरिया में मौजूद करीब ५० हजार पेड़ को वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन ठेकेदार से कटवाएगा। बीएसपी का माइंस विभाग क्षेत्र के जिन पेड़ को काटा जाना है, उसके सर्कल को चिंतिन कर चुका है। अब पेड़ों को काटने के लिए टेंडर कर वर्क आर्डर निकाला जाना है।
माओवादियों का दहशत
रावघाट में पेड़ काटने का काम लेने से भी ठेकेदार कतराते हैं। यहां माओवादियों ने पहले वाहन आग के हवाले कर चुके हैं। इस वजह से ठेकेदार यहां का काम लेने से कतराते हैं।
3 साल पहले हुआ था टेंडर
सेल ने रावघाट परियोजना के लिए एमडीओ (माइंस डेवलपर कम ऑपरेटर) के लिए ग्लोबल टेंडर 27 अगस्त 2016 को जारी किया था। इसका कार्य एसीबी को दिए। इधर रेलपांत बिछाने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन खनन का काम उम्मीद से भी अधिक देर होता जा रहा है।
यह है योजना
योजना है कि रावघाट से आयरन ओर को रेल मार्ग से लेकर राजहरा जाएंगे, वहां से धुलाई कर उसे भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए रवाना किया जाएगा।

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