कलेक्टर ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री संचालकों और निर्माणाधीन मकानों के बिल्डिरों को 30 अगस्त तक समय दिया गया है। अपने-अपने एरिया में जमा पानी खाली कर लें। इसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है। अग्रवाल ने कहा डेंगू पर नियंत्रण के लिए करीब दो हजार की संख्या में टीम काम कर रही है।
शुक्रवार को सेक्टर-6, सडक-17 के एक डेंंगू पीडि़त परिवार ने बीएसपी जन स्वास्थ्य विभाग के एजीएम केके यादव को फोन पर बताया कि उसके बेटे को डेंगू हो गया है। पीडि़त ने पड़ोस के घर में नील कमल उगाने बनाई गई टंकी में लार्वा पनपने की भी शिकायत की।
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कलक्टर के संज्ञान में यह बातें आई। जिम्मेदारों के ऐसे रवैए पर उन्होंने भी आश्चर्य जताया। यादव ने अपनी सफाई दी कि मैंने डेंगू नियंत्रण केंद्र में जाकर लिखित में शिकायत करने कहा था। इस पर कलक्टर ने उन्हें फटकारा। कहा कि ऐसा नहीं चलेगा। अगर कोई शिकायत कर रहा है तो तुरंत टीम भेजो।
संभाग कार्यालय- संभागायुक्त स्वयं, जिला प्रशासन -७ अफसर- कलक्टर, एडीएम, डिप्टी कलक्टर, दो एसडीएम, दो तहसीलदार। नगरीय प्रशासन- 5 संयुक्त संचालक निगम प्रशासन- निगम आयुक्त, दो अधीक्षण अभियंता, ६ जोन कमिश्नर, २६ इंजीनियर, राजस्व अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी, सहायक राजस्व अधिकारी सहित कुल 42 अफसर।
जिला व निगम प्रशासन शहर में डेंगू का संक्रमण रोकने ५६ अफसर, ६८ डॉक्टर, ४२ इंजीनियर, ११०० कर्मी और २४२२ सफाई कामगार काम करने का दावा कर रहा है, फिर भी न मौत का सिलसिला थम रहा है और न ही पीडि़तों की संख्या में कोई कमी आ रही है। दो पालियों में सफाई, दवा का छिड़काव, शाम को फॉगिंग के बावजूद आज भी स्थिति जस की तस है। हर दिन स्वास्थ्य शिविरों में रैपिड किट से जांच में 150 से अधिक डेंगू पॉजीटिव केस सामने आ रहे हैं। पहले तो ७० में सिर्फ 21 वार्डों को प्रभावित क्षेत्र बताया जा रहा था। अब तो हर वार्ड में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं।
नगर निगम ने शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने और डेंगू की रोकथाम के लिए १३५० नियमित सफाई कामगारों के अलावा ६३२ अतिरिक्त कर्मी लगाए गए हैं। फॉगिंग, स्पेयर से दवा छिड़काव और ब्लीचिंग सहित अन्य कार्य के लिए ४४० मजदूरों की अलग से ड्यूटी लगाई गई है। बावजूद एक महीने में एक वार्ड को डेंगू से मुक्त नहीं करा पाए। छावनी और खुर्सीपार में पूरी टीम झोंकने के बाद भी मौत का सिलसिला थम नहीं रहा।