scriptडेंगू के डंक का कहर: बाप के गोद में बेटी ने तोड़ा दम, 31 दिनों में डेंगू से यह ३6वीं मौत | Death of a young girl from dengue in Bhilai city | Patrika News

डेंगू के डंक का कहर: बाप के गोद में बेटी ने तोड़ा दम, 31 दिनों में डेंगू से यह ३6वीं मौत

locationभिलाईPublished: Aug 30, 2018 11:59:23 pm

बीएसपी के सीएसएस विभाग में कार्यरत जयराम साहू की बेटी मेघा 24 साल की डेंगू के कारण सेक्टर-09 अस्पताल में मौत हो गई।

Dengue in bhilai city

डेंगू के डंक का कहर: बाप के गोद में बेटी ने तोड़ा दम, 31 दिनों में डेंगू से यह ३6वीं मौत

भिलाई. बीएसपी के सीएसएस विभाग में कार्यरत जयराम साहू की बेटी मेघा 24 साल की डेंगू के कारण सेक्टर-09 अस्पताल में मौत हो गई। पिता के आंख से आंसू थम नहीं रहे हैं। वे बार-बार दोहरा रहे हैं कि सोमवार को सेक्टर-9 हॉस्पिटल के चिकित्सक बेटी मेघा साहू (२४ साल) को दाखिल कर लेते, तो मेरे गोद में उसकी जान नहीं जाती। हॉस्पिटल प्रबंधन की इस चूक ने बेटी को छीन लिया। भिलाई में ३१ जुलाई से ३० अगस्त के बीच ३१ दिनों में डेंगू से यह ३6 वीं मौत है।
जांच रिपोर्ट में डेंगू पॉजीटिव आया

जयराम ने बताया कि सोमवार को बेटी बुखार से तप रही थी, तो उसे लेकर वे सेक्टर-9 हॉस्पिटल गए। जहां चिकित्सकों ने डेंगू की जांच के लिए ब्लड लिया। शाम को जांच रिपोर्ट में डेंगू पॉजीटिव आया। इस पर पिता ने चिकित्सकों से कहा कि बेटी को पहले ही सीकलसेल की तकलीफ है। इस वजह से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम है। हॉस्पिटल में दाखिल कर लेने से बेहतर होता।
डॉक्टरों ने घर भेजा दिया
चिकित्सक ने कहा कि अभी प्लेटलेट एक लाख 10 हजार है। इस वजह से अभी घर लेकर जाओ, बुखार लगे तो पैरासिटामाल टेबलेट खिला देना। मंगलवार को लेकर आना, फिर एक बार जांच करेंगे। मंगलवार को वह बेटी को लेकर फिर हॉस्पिटल पहुंचे। तब चिकित्सकों ने कहा कि बुधवार को लेकर आना, तब जांच करेंगे।
रात में दर्द से रो पड़ी बेटी
पिता ने बताया कि मंगलवार व बुधवार के दरमियानी रात करीब दो बजे बेटी दर्द से रो पड़ी। सुबह चार बजे तक उसे घर में संभालकर रखा। बुधवार की सुबह ४ बजे सेक्टर-9 हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने बी-वन वार्ड में दाखिल कर दिया।
बहन के एक फोन में भाई बेंगलुरू से हवा में उड़ता भिलाई पहुंचा
मेघा ने अपने एकलौते भाई नागेश साहू (इंजीनियर) को फोन कर बताया कि शरीर में दर्द बहुत हो रहा है। बहन की आवाज से ही भाई को उसके दर्द का एहसास हो गया था। वह बेंगलुरू से फ्लाइट में सवार होकर रायपुर और फिर घर पहुंचा।
भाई का गला भर आया
मेघा के भाई ने बताया कि गुरुवार को सुबह १० बजे चिकित्सक राउंड में आया और एक इंजेक्शन देने कहा। नागेश से चिकित्सक से कहा कि रेफर कर देते हैं रायपुर ले जाओ। भाई ने कहा आईसीयू में शिफ्ट कर दो। इस पर चिकित्सक ने कहा कि आईसीयू में बेड खाली नहीं है। भाई ने सीएमओ को फोन किया। तब चिकित्सक ने कहा आईसीयू में एक बेड खाली हुआ है।
शिफ्ट करते समय ही चली गई मेघा
पिता ने बताया कि खाली हो चूके सिलेंडर बदलने दूसरे लेकर आए और उसे बदलने के लिए पहले से लगे मॉस्क को निकाल दिया। तब बेटी गोद पर ही थी, उसने आंख पलटा दिया। बेटी को देखकर यह समझ चुका था, कि वह जा चुकी है। इसके बाद भी अकेला बेटा उसे जल्दी से स्टे्रचर पर उठाकर डाला, चिकित्सक खड़े होकर देख रहे थे। बेटा भागते हुए आगे बढ़ रहा था, साथ में नीला कपड़ा पहने सफाई कर्मचारी सिलेंडर लेकर चल रही थी।
आईसीयू में रखा चार घंटे
बेटी को चार घंटे तक आईसीयू में रखा गया, इस बीच दो बार परिवार से काउंसलिंग की, जिसमें बताया कि बचाने की कोशिश कर रहे हैं। ४ बजे बताया कि बेटी की मौत हो गई। यह बीएसपी का सेक्टर-9 हॉस्पिटल है। जिस बीएसपी में खून-पसीना बहाकर काम कर रहे हैं। नागेश ने बताया कि उसकी दो बहन है, एक का विवाह नागपुर में हुआ, दूसरी मेघा थी, मेघा ने एम कॉम तक पढ़ाई की थी।
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