साई गुजरात में तैराकी का प्रशिक्षण हासिल कर रहे पुरई के तैराक लक्की ने बताया कि हम सभी खाने के टेबल पर बैठे हुए थे। इतने में खेल मंत्री रिजिजु आकर हमारे बीच बैठ गए। हमें तो पता ही नहीं था, कि कौन हैं? धीरे-धीरे ऑफिसर्स आना शुरू हो गए। खेल मंत्री ने पूछा कि कौन से प्रदेश से हो? हमने कहा, छत्तीसगढ़..। यह सुनते ही वे चौंक गए और बोले, वाह… यहां पहुंचे मतलब टैलेंटेड के साथ स्मार्ट भी हो। उनका दूसरा प्रश्न था, कौन सा खेल? हमने उत्तर दिया कि सर… स्वीमिंग के लिए सिलेक्टेड हैं। यह जवाब सुनकर बोले कि आप सभी पहले हो जो इतनी छोटी उम्र में यह पहुंच पाए।
डोमन ने बताया कि मंत्री रिजिजु ने खिलाडिय़ों के कमरों का निरीक्षण किया। वे हमारे कमरों में भी आए और बोले, साफ सफाई में बच्चों तुम बड़ों से बेहतर हो। खिलाड़ी को जितनी जरूरत प्रोटीन की होती है, उसे उतना ही सफाई को तवज्जो देने वाला भी होना चाहिए।
धन्नु ओझा, भूमिका ओझा, हेमलता ओझा, चंद्रकला ओझा, लक्की ओझा, सिद्धार्थ ओझा, रवि ओझा, सम्राट ओझा, लोभ कुमार, लाकेश, डोमन और दिग्विजय। पीएमओ तक पहुंची पुरई गांव की पुकार
इंटरनेशनल स्विमिंग पूल तक पहुंचना आसान नहीं था। तालाब में बैन होने के बाद हुए सत्याग्रह की आवाज पत्रिका बना और पीएमओ तक पुरई की पुकार पीएमओ तक पहुंची। खेल मंत्रालय ने इसमें संज्ञान लिया। दिल्ली से आई साई की टीम ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड के आधार पर बच्चों का ट्रायल किया। प्रतिभा को पहचाना और आखिकर पूरे एक साल बाद 12 तैराक एक नई जिंदगी की शुरुआत करने गांधीनगर गए।