टाटा स्टील प्रबंधन ने यूनियन से समझौता में तय किया है कि इस साल कर्मियों को न्यूनतम बोनस २६,१३० से अधिकतम १,९९,७२३ रुपए तक दिया जाएगा। टाटा ने पिछले साल कर्मियों को १६५ करोड़ रुपए बोनस के तौर पर दिया था। इस बार यह राशि बढ़कर 203 करोड़ तक पहुंच गई है।
सेल वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 540.43 करोड़ रुपए का कर के बाद लाभ दर्ज किया है। चालू वित्त वर्ष की इस पहली तिमाही में 2685.48 करोड़ ब्याज, कर, मूल्यह्रस और ऋण परिशोधन पूर्व आय भी हासिल की है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 22.71 करोड़ थी। यह उपलब्धि तय रूप से सेल कार्मिकों के सामूहिक प्रयासों से हासिल हुई है।
सेल की क्षमता को बढ़ाने तथा बेहतर तकनीकी-आर्थिक मानकों के लिए किए जा रहे प्रयासों के जरिए समस्त उत्पादन प्रक्रिया में व्यापक सुधार ला रहा है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में कंपनी के विक्रय इस्पात उत्पादन में 13 फीसदी का इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में कंपनी ने 32.71 लाख टन इस्पात का विक्रय किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 8 फीसदी अधिक है।
2013 के बाद से सेल में बोनस परफॉर्मेंस के मुताबिक मिलता है। वर्तमान में सेल का परफॉर्मेंस के हिसाब से आठवें पायदान पर है। इसको देखते हुए अन्य पब्लिक सेक्टर से बोनस के हिसाब में ज्यादा की उम्मीद लगाए हुए हैं। यह भी एक रोचक तथ्य है कि सेल कर्मियों को अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों के बराबर तो क्या आसपास भी बोनस दिला पाने में नाकाम रही है।
महासचिव, छत्तीसगढ़ मजदूर संघ, बीएसपी अखिल मिश्रा ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मचारी इंतजार कर रहे हैं कि उनको एनजेसीएस यूनियन अन्य प्रतिष्ठानों के बराबर तो क्या सम्मानजनक बोनस ही दिला दे, तो बड़ी बात है। महासचिव एटक विनोद सोनी ने बताया कि सेल प्रोफिट में है, प्रबंधन को जल्द बैठक बुलाया चाहिए। एटक ने १० सितंबर को पूरे सेल में बोनस, पेंशन, वेतन समझौते की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा।
कर्मियों को 2015 में बोनस को ना देते हुए सेल ने एडवांस के रुप में 9000 रुपए थमा दिए थे। यह पहला मौका नहीं था, जब ऐसा किए हैं, इसके पहले 2005 में भी सेल ने बोनस ना देते हुए एडवांस के रुप में करीब 5000 रुपए दिए थे, जो की रिटायरमेंट के समय पेमेंट में से काटे गए। 2015 में सेल में हड़ताल के बावजूद यूनियन कोई दबाव डालने पर नाकाम रही।
बीएसपी कर्मियों को पिछले पिछले चार साल से ठगा जा रहा है। बोनस के नाम पर कभी अग्रिम राशि 10 हजार तो कभी 9 हजार बैंक खातों में डाल दी जाती है। इस वर्ष भी सभी यूनियन इस मामले में चुप्पी साधे है। प्रबंधन ने बोनस के लिए बैठक बुलाने का अब तक संकेत भी नहीं दिया है।