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भिलाई के इतिहास से वर्तमान तक की दुर्लभ गाथा वोल्गा से शिवनाथ, 13 नंबर से जुड़ा है रशियन का अंधविश्वास,

locationभिलाईPublished: Feb 14, 2019 04:02:30 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

यह किताब इस्पात नगरी भिलाई के निर्माण में सोवियत रूस और भारतीय नागरिकों के योगदान पर केंद्रित है।

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भिलाई के इतिहास से वर्तमान तक की दुर्लभ गाथा वोल्गा से शिवनाथ, 13 नंबर से जुड़ा है रशियन का अंधविश्वास,

भिलाई. पत्रकार मुहम्मद जाकिर हुसैन की कृति वोल्गा से शिवनाथ तक भिलाई के इतिहास से वर्तमान तक की दुर्लभ गाथा है। उनकी यह किताब इस्पात नगरी भिलाई के निर्माण में सोवियत रूस और भारतीय नागरिकों के योगदान पर केंद्रित है।
उन्होंने भिलाई की स्थापना में सहयोग देने वाले तत्कालीन सोवियत संघ के इंजीनियरों, अनुवादकों व अन्य सहायकों की भूमिका पर विस्तार से रोशनी डाली है। इस पुस्तक में शुरूआती दौर से वर्तमान तक भिलाई में सेवा दे रहे रशियन इंजीनियर/दंपती के साक्षात्कार व प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं का दुर्लभ फोटोग्राफ्स सहित ब्यौरा है।
इस किताब में उन्होंने जहां भारत में औद्योगिकीकरण की शुरुआत का रहस्योद्घाटन किया है। वहीं भिलाई इस्पात संयंत्र से जुड़ी कई अनोखी बातें हैं जिसे अपने शब्दों से ऐसे पिरोया है कि कोई किस्से या कहानी पढऩे जैसा लगता है। उन्होंने बताया है कि 1953 में रूसी राष्ट्रपति जोसेफ स्टालिन के निधन पर शोक कार्यक्रम शामिल में होने गए भारतीय दल ने तत्कालीन सरकार के कहने पर कैसे भारत में रूस के सहयोग से औद्योगिकीकरण की संभावनाएं टटोल आए थे और उसी का नतीजा हमारा भिलाई इस्पात संयंत्र था।
बीएसपी की स्थापना के लिए नियुक्त पहले रूसी चीफ इंजीनियर एनजी क्रोटेनकोव की बतख का शिकार करते समय नेवई तालाब में डूबने से मौत और हिंदी नहीं जानने वाले उनके दस साल के बेटे का भागते हुए बस्ती में पहुंचकर मदद की गुहार का मर्मस्पर्शी चित्रण किताब में है।
भ_ी के निर्माण की आखिरी ईंट में सिक्के रखकर चुनाई और सेक्टर-9 में 13 नंबर सड़क व भिलाई निवास में 13 नंबर कमरा नहीं होने के पीछे रशियन अंधविश्वास के बारे में बताया है। किताब का विमोचन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने राजधानी रायपुर में किया।

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