दोनों से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके बाद विभाग की ओर से प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के उप संचालक केके द्विवेदी बताया कि हादसे के बाद ऊर्जा प्रबंधन विभाग, कोक ओवन और अग्रिशमन विभाग के कर्मियों व अधिकारियों के बयान लिए गए।
मौके का जायजा लेकर कार्य स्थल की परिस्थिति और इसके लिए बनाई गई योजना का भी परीक्षण किया। पड़ताल में यह बात सामने आई कि यह जानते हुए भी कि कोक ओवन गैस काफी ज्वलनशील है, कर्मियों की जान को खतरे में डालकर काम करवाया जा रहा था। इसके लिए सीधे तौर पर कारखाने का मुखिया अधिशासी निदेशक संकार्य और कोक ओवन विभाग के महाप्रबंधक जिम्मेदार हैं।
1. डी-ब्लैंकिंग के दौरान ज्वलनशील कोक ओवन गैस पाइप लाइन से पूरी तरह क्यों नहीं निकाली गई?
२. सुरक्षा के मानकों को ध्यान में न रखकर पाइप लाइन से गैस निकाले बगैर पाइप के फ्लेंज ज्वाइंट को खोलकर एमएस प्लेट को निकालने का निर्णय क्यों लिया गया?
३.पाइप लाइन में गैस रहने से जरा से घर्षण से ही त्वरित भयावह आग लगने की पूर्ण आश्ंाका रहती है यह जानते हुए भी सुरक्षा को नजर अंदाज क्यों किया?
४. क्या गैस पाइप लाइन में संयत्र कर्मियों को जान जोखिम में डालकर काम कराया जाता है? डी-ब्लैंकिंग की नई तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?
हादसे की जांच के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की आंतरिक जांच कमेटी ने कंपनी के निदेशक तकनीक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि रिपोर्ट का अभी खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन जिस तरह से जांच कमेटी के सदस्यों के तेवर थे और यहां सुरक्षा को लेकर लापरवाही पर अफसरों के समक्ष उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया जताई, माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आधार पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
9 अक्टूबर हो हुए इस हादसे में संयंत्र के ऊर्र्जा प्रबंधन विभाग के 9 और अग्रिशमन विभाग के 5 जवानों की मौत हो चुकी है। झुलसे हुए 9 कर्मियों की जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र सेक्टर-9 में इलाज चल रहा है। इनमें कुछ की स्थिति ज्यादा गंभीर बताई जा रही है।