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अतीत की यादें : चुनाव प्रचार ने बदल दी गांव की तकदीर

locationभिलाईPublished: Nov 17, 2018 12:53:19 am

Submitted by:

Bhuwan Sahu

संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर में 20 घरों का एक गांव मुस्केरा है, जो कि राजाराव पठार की तराई क्षेत्र में बसा है।

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अतीत की यादें : चुनाव प्रचार ने बदल दी गांव की तकदीर

संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर में 20 घरों का एक गांव मुस्केरा है, जो कि राजाराव पठार की तराई क्षेत्र में बसा है। इस गांव की यह विडंबना रही है कि एक तरफ महानदी, तो दूसरी ओर विशाल पहाड़। यहां के ग्रामीणों को मुख्य सड़क मार्ग तक आने-जाने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। गांव तक दुपहिया, चारपहिया वाहन आने-जाने का कोई साधन नहीं था।
महिलाओं को डिलवरी के समय व बीमार व्यक्ति को खटिया में सुला कर पहाड़ी रास्ते से पैदल अस्पताल पहुंचाते थे। आवागमन की कोई सुविधा नहीं थी। यहां तक कि ग्राम मुस्केरा के निवासी निर्वाचन के समय अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाते थे। मतदान केंद्र गांव से 4 किलोमीटर की दूरी पर होने से आवागमन का कोई साधन नहीं था, परंतु विधायक स्वर्गीय लोकेंद्र यादव द्वारा मार्ग बनाए जाने पर यहां के ग्रामीण अब शत-प्रतिशत मतदान करते हैं।
मुस्केरा ऐसा गांव था जहां नहीं कोई जाना चाहते थे कोई

इतिहास के जानकार अरमान अश्क से मिली जानकारी अनुसार वर्ष 1998 में चुनाव प्रचार के माध्यम से बालोद के पूर्व विधायक स्व. लोकेंद्र यादव इन्हीं पहाड़ी रास्ते से पैदल गांव तक पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों की समस्या सुनी तब उन्होंने निर्णय कर लिया था कि चुनाव में जीत-हार तो होते ही हैं, पर ग्राम मुस्केरा की सबसे बड़ी समस्या आवागमन को सुगम बनाने की वह भरसक प्रयास करेंगे। वास्तव में चुनाव जीतने के बाद श्री यादव ने अपने विधायक निधि की राशि से पहला कार्य पठार से मुस्केरा गांव तक सीमेंट-कांक्रीट सड़क का निर्माण कराया।
पहाड़ी रास्ते से पैदल पहुंचे थे जनसंपर्क में

यह मार्ग पहाड़ को काटकर लगभग आधा किलोमीटर लंबी घुमावदार सड़क का निर्माण कराया गया, जिसमें ग्रामीणों ने भी श्रमदान किया था। वर्तमान में यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ गया है। गांव तक आवागमन की सुविधा होने से गांव की आबादी भी बढ़ गई है। अब यहां के ग्रामीण गांव में रहकर खेती-किसानी का कार्य करते हुए जीवन स्तर उंचा उठाया।
आजादी के बाद पहली बार पहुंचा था कोई जनप्रतिनिधि

गौरतलब है कि राजाराव पठार के सख्त चट्टानों को काटकर सड़क बनाना कोई आसान काम नहीं था, परंतु स्व. लोकेंद्र यादव का ग्रामीणों की पीड़ा दूर करने का प्रयास और ग्रामवासियों के श्रमदान से दुरूह कार्य भी आसान हो गया। ग्राम मुस्केरा के ग्रामीण कहते थे कि देश की आजादी के बाद से अब तक कोई प्रत्याशी कोई जनप्रतिनिधि गांव तक कभी नहीं आए। स्व. लोकेंद्र यादव ऐसे पहले प्रत्याशी थे जो मुस्केरा गांव पहुंचकर ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या का समाधान किया था। वह कार्य ग्रामीणों के लिए अब यादगार बन के रह गया है।

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