कांग्रेस में प्रत्याशी पर बना असमंजस, भाजपा दांव खेलने के तैयारी में कांग्रेस इस सीट पर 15 साल से लगातार हार का सामना कर रही है। कांग्रेस अंतिम बार इस सीट पर वर्ष 1998 में विजयी रही थी। उस समय कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी आरपी शर्मा जीते थे, तब उन्होंने भाजपा के विजय बंसल को पराजित कर जीत दर्ज कराई थी। उसके बाद से भरतपुर में कांग्रेस कभी जीत का स्वाद नहीं चख पाई। वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो कांग्रेस अभी तक अपना प्रत्याशी को अंतिम रूप नहीं दे पाई है। जबकि भाजपा यहां से वापस विधायक विजय बंसल पर दाव खेलने जा रही है। हालांकि, बंसल का इस बार उनके ही वैश्य समाज में विरोध देखने को मिल रहा है। इसकी मुख्य वजह बंसल के मतदाताओं से कम मिलना और कोई विशेष कार्य नहीं करवाना है। ज्यादातर कार्य भरतपुर जिले में हुए हैं, वह पूर्व मंत्री दिगम्बर सिंह के कार्यकाल के हैं। जिसमें मेडिकल कॉलेज व ब्रज विश्वविद्यालय शामिल है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी सरकार के खिलाफ बनी नाराजगी को भुनाना चाह रही है लेकिन, प्रत्याशी को लेकर वह फिलहाल असमंजस की स्थिति में बनी हुई है।
कांग्रेस से ये हैं दावेदार कांग्रेस में प्रमुख दावेदार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुभाष गर्ग, कांग्रेस शहर अध्यक्ष संजय शुक्ला, धर्मेन्द्र शर्मा, सीए अतुल मित्तल दौड़ में बने हुए हैं। अब देखना ये है कि पार्टी किसको टिकट देती है। हालांकि, टिकट वितरण में पार्टी कुम्हेर-डीग से विधायक विश्वेन्द्र सिंह की सलाह को प्राथमिकता दे सकती है। अब देखना है कि पार्टी किस पर अंतिम दाव खेलती है। भरतपुर विधानसभा में सर्वाधिक मतदाता जाट हैं। इनकी संख्या करीब 60 हजार से अधिक है। जबकि वैश्य और ब्राह्मण मतदाता करीब-करीब समान हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस वैश्य समाज में सेंधमारी के लिए वैश्य प्रत्याशी खड़ा कर दाव खेल सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी को खड़ा किया जा सकता है।
1993 से जीत का लहरा चुके हैं परचम भरतपुर सीट पर करीब सवा दो लाख मतदाता हैं। चुनाव आंकड़ा भरतपुर सीट पर वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में विजय बंसल ने बसपा प्रत्याशी दलवीर सिंह को 22 हजार 694 मतों से पराजित किया था। बसपा को 34 हजार से अधिक मत मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी इस सीट पर चौथे स्थान पर रहा। वहीं तीसरे स्थान पर निर्दलीय गिरधारी तिवाड़ी रहे थे जो इस बार घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले वर्ष 2008 में भी भाजपा के बंसल विजयी रहे। उन्होंने उस समय कांग्रेस नेता आरपी शर्मा के पुत्र व बगावत कर बसपा में शामिल हुए आदित्यराज शर्मा को पराजित किया था। इस चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी धर्मेन्द्र शर्मा तीसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2003 में भाजपा से टिकट कटने पर विजय बंसल इनेलो से चुनाव लड़े और विजयी रहे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी आरपी शर्मा को पराजित किया था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ.गुरदीप सिंह तीसरे स्थान पर रहे जबकि वर्ष 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी आरपी शर्मा ने भाजपा के विजय बंसल को हराया। इससे पहले 1995 और 1993 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी आरपी शर्मा विजयी रहे।