छतीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सली हमले में शहीद हुए डुमरिया गांव के महेन्द्रसिंह गुर्जर की शहादत को पूरे देशभर में गर्व मिला। शहादत के दौरान जहां उसके घर नेताओं व अधिकारियों का जमावड़ा रहा वहीं शहीद के पिता समन्दरसिंह को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट(Deputy Chief Minister Sachin pilot) एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे (Vasundhara raje) ने सम्मान दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (prime minister narendra modi) ने भी महेन्द्र सिंह की शहादत को देश के लिए गौरव की बात बताया था। बड़े नेता जहां शहीद के परिवार के प्रति संवेदनशील दिखे वहीं स्थानीय स्तर पर अधिकारियों का व्यवहार परिवार को कचोट रहा है।
15 अगस्त पर सम्मान, अगले दिन दुत्कार
बेटा की शहादत पर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पिता समन्दरसिंह को उपखण्ड स्तर पर सम्मानित किया गया था। इसके दूसरे दिन 16 अगस्त को वह अपने पुत्र का शहीद स्मारक बनवाने के लिए जमीन आवंटन सम्बंधी प्रस्ताव फाइल की स्वीकृति के सम्बंध में रूपवास एसडीएम के कार्यालय पहुंचा, तो काम कराने का भरोसा दिलाना तो दूर बल्कि दुव्र्यवहार कर कार्यालय से बाहर निकाल दिया।
उपखण्ड कार्यालय में अटकी फाइल
जानकारी के अनुसार शहीद स्मारक बनाएं जाने के लिए जिला कलक्टर कार्यालय से जमीन आवंटन सम्बंधी प्रस्ताव मांगा गया, जिस पर पटवारी स्तर से शहीद स्मारक के लिए करीब चार बिस्वा भूमि आवंटन का प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया, जो कि काफी समय बीतने के बाद तहसील कार्यालय से उपखण्ड कार्यालय भेज दिया गया है। लेकिन आवंटन प्रस्ताव की फाइल उपखण्ड कार्यालय में अटकी हुई है जिसे उच्च स्तर पर भेजने के लिए समन्दर सिंह कई दिनों से चक्कर लगा रहा है।
जिला कलक्टर: एसडीएम से बात की है फिर भी कराएंगे मामले की जांच
जब पत्रिका ने इस मामले को लेकर जिला कलक्टर डॉ. आरुषि अजेय मलिक से बात की तो उन्होंने बताया कि एसडीएम से इस प्रकरण में बात की थी, उन्होंने बताया कि जिस कमरे में ईडब्ल्यूएस के प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं, वहां अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा किसी का भी प्रवेश वर्जित है। उन्होंने शहीद के पिता को बाहर जाकर बैठने को कहा था। एक दिन पहले ही एसडीएम ने शहीद के पिता का सम्मान किया था। फिर वह असम्मान कैसे कर सकते हैं। फिर भी इस मामले की जांच कराई जाएगी।
वर्जन-
मैं 16 अगस्त को एसडीएम कार्यालय में बैठ कर अधिकारी का इंतजार कर रहा था। एसडीएम दिनेश धाकड़ ने आते ही कार्यालय के कर्मचारियों से पूछा कि यह कौन है, कर्मचारियों ने मेरा परिचय शहीद के पिता के रुप में दिया। फिर भी एसडीएम ने कर्मचारियों से मुझे बाहर निकालने के लिए कहते हुए दुव्र्यवहार किया। साथ ही कहा कि इसमें क्या जल्दी हो रही है बाद में काम हो जाएगा।
-महेन्द्रसिंह ने गांव का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। शहीद का स्मारक बनना जरूरी है, लेकिन शहीद के पिता के साथ दुव्र्यवहार होना शहीद का अपमान होना है। मैं शहीद के पिता से मिलूंगा और इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जाएगी।
-सबोल पहलवान, सरपंच ग्राम पंचायत डुमरिया।