scriptचिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से लडखड़़ाई चिकित्सा व्यवस्था | Feminist medical system with the exclusion of physicians | Patrika News

चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार से लडखड़़ाई चिकित्सा व्यवस्था

locationभरतपुरPublished: Jun 17, 2019 09:43:06 pm

Submitted by:

pramod verma

भरतपुर. चिकित्सकों ने अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिसदा) व आईएमए के आह्वान पर विरोध स्वरूप ओपीडी में मरीजों को देखने के कार्य का बहिष्कार किया।

bharatpur

bharatpur

भरतपुर. चिकित्सकों ने अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिसदा) व आईएमए के आह्वान पर विरोध स्वरूप ओपीडी में मरीजों को देखने के कार्य का बहिष्कार किया। इसमें जिले की 68 पीएचसी, 17 सीएचसी, आरबीएम व जनाना अस्पताल के अलावा मेडिकल कॉलेज से संबंधित लगभग 250 सेवारत चिकित्सकों ने ओपीडी का बहिष्कार किया। ऐसे में वार्ड में भर्ती और इमरजेंसी मरीजों को छोड़ दें तो अस्पताल में व्यवस्थाएं लडखड़़ाती नजर आई। हालांकि, पीएचसी-सीएचसी की ओपीडी में स्वास्थ्य विभाग ने वैकल्पिक तौर पर 67 आयुष चिकित्सक लगाए, फिर भी मरीज परेशान नजर आए।
आरबीएम में फिजिशियन, सीनियर चिकित्सक, सर्जन, ऑर्थोपेडिक, ईएनटी सहित मेडिकल कॉलेज से संबंधित लगभग 30 चिकित्सक कार्यरत हैं। वहीं नेत्र चिकित्सालय में 04 व जनाना अस्पताल में गायनी, शिशु रोग, मेडिकल ऑफिसर, निश्चेतन समेत करीब 21 चिकित्सक कार्यरत हैं। इन दोनों अस्पतालों में मेडिकल कॉलेज से जुड़े प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर व रेजीडेंट चिकित्सक लगे हैं, जिन्होंने भी ओपीडी का बहिष्कार किया।
ऐसे में अस्पतालों में ओपीडी में आए मरीजों की स्थिति दयनीय थी। चिकित्सकों के ओपीडी में नहीं बैठने से मरीजों को निराश लौटना पड़ा। इससे आरबीएम में जहां उपचार टिकट सेवा ठप थी। वहीं नि:शुल्क दवा काउंटर भी सूने दिखे। दूसरी ओर अस्पताल की प्रयोगशाला में औसतन 70 मरीज ही जांच को आए। जबकि, अन्य दिनों यह औसत 125 से 150 होता है।चिकित्सकों ने यहां केवल एक्सीडेंट, वार्ड में भर्ती मरीज व गंभीर बीमारी से पीडि़त लोगों को इमरजेंसी में उपचार दिया। लेकिन, कार्य बहिष्कार से करीब 04 हड्डी के ऑपरेशन व एक ईएनटी से संबंधित ऑपरेशन नहीं किया गया।
इसका प्रभाव वार्डों पर भी पड़ा। प्रतिदिन जहां एक वार्ड में 15 से 20 मरीज भर्ती होते हैं। वहीं सोमवार को 8 से 10 मरीज ही भर्ती हो पाए। मेडिकल, सर्जीकल, हड्डी आदि वार्डों में भर्ती का औसत भी कम रहा। जबकि, नेत्र चिकित्सालय में चिकित्सक आए ही नहीं। इससे 250 से 275 नेत्र रोगियों को लौटना पड़ा। इनमें 4 से 5 ऑपरेशन वाले भी शामिल हैं। जनाना अस्पताल की स्थिति देखें तो ओपीडी बहिष्कार के दिन इमरजेंसी में 7 महिलाओं व 5 बच्चों को भर्ती किया गया। जबकि, अन्य दिनों ओपीडी का औसत 150 से 175 रहता है। इसलिए यहां करीब 20 प्रसूता व 10 बच्चे भर्ती हो जाते हैं। यहां भी जांच ना के बराबर हुई।
अरिसदा के जिलाध्यक्ष डॉ. मनीष चौधरी का कहना है कि ओपीडी कार्य का बहिष्कार किया, लेकिन इमरजेंसी सेवाओं को दुरुस्त रखते हुए चिकित्सकों ने पेन डाउन स्ट्राइक की। उन्होंने बताया कि चिकित्सक नहीं चाहता की मरीज को पीड़ा हो, लेकिन जब चिकित्सक ही सुरक्षित नहीं हैं तो वह किस मन से मरीजों की सेवा करे। उन्होंने कहा कि बंगाल में इंटर्न डॉक्टर्स से मारपीट की गई। इसे लेकर चिकित्सकों में आक्रोश है। इसलिए आईएमए व चिकिसक यूनियनों की ओर से आंदोलन किया जा रहा है जिसके तहत भरतपुर में सभी राजकीय व निजी चिकित्सालयों में एक दिन के लिए सामान्य ओपीडी का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो