सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व भरतपुर में दो-तीन अलग से आतिशबाजी मार्केट सजता था। यहां सैंकड़ों विक्रेता आतिशबाजी की दुकानें लगाते थे, लेकिन अब भरतपुर शहर में आतिशबाजी मार्केट बीते समय की बात हो चुकी है। हालांकि आतिशबाजी विक्रेता व दीपावली पर आतिशबाजी का आनंद लेने वाले लोगों में थोड़ी मायूसी है। अधिकारी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से आतिशबाजी बिक्री को लेकर दिए गए आदेशों की सख्ती से पालना कराई जाएगी। जिले में आतिशबाजी बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने का सवाल नहीं है। गैर कानूनी तरीके से आतिशबाजी बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
सबसे बड़ी आश्चर्यकी बात यह है कि एनसीआर में शामिल होने के बाद मुश्किल से भरतपुर में 2015 तक ही आतिशबाजी का मार्केट लग पाया था। उसके बाद रोक का असर शुरू हो गया। हालांकि इस बार अब भी जिला प्रशासन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की रोक पिछले दो साल पूर्वसे ही लागू है। इसलिए दुबारा से पाबंदी लगाने का कोई सवाल ही नहीं है। चूंकि पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक को हटाया नहीं था। जब जिला कलक्टर डॉ. जोगाराम से भी इस प्रकरण में बात की तो उन्होंने भी अनविज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
दिल्ली और एनसीआर के ज्यादातार क्षेत्रों में ग्रीन पटाखों की बिक्री करने की स्वीकृति देने की बात भी सामने आई है। हालांकि स्थानीय प्रशासन की ओर से इस संबंध में अभी तक कोईसूचना प्रसारित नहीं की गई है। पिछले साल तत्कालीन जिला कलक्टर संदेश नायक ने आनन-फानन में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से राय लेकर ग्रीन पटाखों को लेकर गाइडलाइन जारी की थी। काफी मात्रा में पिछले साल बाहर से आए ग्रीन पटाखों की बिक्री भी हुई थी, लेकिन इस बार ग्रीन पटाखे चलाने का सपना भी प्रशासनिक अधिकारियों की असमंजस की स्थिति के कारण धूमिल होता दिख रहा है।