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भरतपुर लोकसभा: छह महीने में ही हो गया बड़ा खेला…यूं समझिए चुनाव का समीकरण!

विधानसभा चुनाव 2023 को अभी छह महीने का समय भी पूरा नहीं है, लेकिन इसी बीच लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान ने सत्ताधारी व विपक्षी दलों के साथ निर्वाचन विभाग को भी सकते में डाल दिया है।

भरतपुरApr 22, 2024 / 12:02 pm

Meghshyam Parashar

-विधानसभा चुनाव की तुलना 19.12 प्रतिशत कम रहा मतदान, प्रदेशभर में कामां में सबसे ज्यादा मतदान
विधानसभा चुनाव 2023 को अभी छह महीने का समय भी पूरा नहीं है, लेकिन इसी बीच लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान ने सत्ताधारी व विपक्षी दलों के साथ निर्वाचन विभाग को भी सकते में डाल दिया है। क्योंकि छह महीने में 19.12 प्रतिशत मतदान का गिरना चिंताजनक है। भले ही कामां विधानसभा क्षेत्र में इस लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदान रहा है, लेकिन विधानसभा चुनाव की तुलना 23.39 प्रतिशत मतदान गिरा है। भरतपुर जिले के मतदान प्रतिशत की तुलना विधानसभा चुनाव से करने पर सामने आया कि 19.12 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। हालांकि सर्वाधिक मतदान प्रतिशत बयाना व कामां व डीग-कुम्हेर में गिरा है। विधानसभा चुनाव में सात सीटों पर 71.92 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब लोकसभा चुनाव में आठ सीटों पर 52.80 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 की तुलना हरेक विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत बढ़ा था। भरतपुर में 0.40 प्रतिशत, कामां में 0.11, नगर में 0.22, डीग-कुम्हेर में 0.18, नदबई में 3.00, कठूमर में 5.70, वैर में 2.86, बयाना में 2.01 प्रतिशत मतदान बढ़ा था। इसके अलावा 2019 की लोकसभा चुनाव की तुलना अगर 2018 के विधानसभा से करें तो भरतपुर में 5.99, डीग-कुम्हेर में 7.77, कामां में 21.07, नगर में 16.77, नदबई में 8.42, वैर में 9.42, बयाना में 16.48, कठूमर में 14.91 प्रतिशत मतदान गिरा था। 2019 में भाजपा की जीत हुई थी, जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी।
वहीं कामां में इस बार प्रदेश में सर्वाधिक मतदान हुआ है। यहां इस बार भरतपुर लोकसभा क्षेत्र के कामां विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव सबसे ज्यादा ही रहा है। क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधित मेव मतदाता हैं। जो कि मतदान करने में सबसे आगे रहते हैं। कामां में 2023 के विधानसभा चुनाव में 77.80 प्रतिशत मतदान हुआ था। साथ ही लोकसभा चुनाव में 62.85 मतदान हुआ है। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो 14.95 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में कामां में 60.42 प्रतिशत व 2019 के लोकसभा चुनाव में 60.53 प्रतिशत मतदान हुआ था। ऐसे में 2019 में कामां में 0.11 प्रतिशत मतदान बढ़ा था। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में 79.73 प्रतिशत व 2018 के विधानसभा चुनाव में 81.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। मतदान बढऩे के पीछे मुख्य कारण मेव मतदाताओं में जागरुकता व विधानसभा चुनाव में मेव वोटरों के दो प्रत्याशियों के बीच मत ध्रुवीकरण को माना जा सकता है।
पिछले चुनाव में 1989 के बाद बढ़ा था मतदान

भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में 2019 में रिकॉर्ड 58.8 6 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो कि वर्ष 1989 के चुनाव (65.83) के बाद सर्वाधिक मतदान रहा था, लेकिन बावजूद इसके भरतपुर ‘फस्र्ट डिवीजन’ (यानी 60) पास नहीं हो पाया था। उस समय भी निर्वाचन विभाग की ओर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए घर-घर पीले चावल व पर्चीवितरित कर मतदान करने का न्यौता दिया, रैली निकाली, सभाएं की गई थी, लेकिन फिर भी वर्ष 2014 (57.04) की तुलना में 2019 में सिर्फ 1.82 प्रतिशत अधिक (58.86 त) ही मतदान हो सका था। इस बार भी मतदान 6.13 प्रतिशत और गिर गया।

एक दल के वोटों में नहीं लगी सेंध, दूसरे का कम डला

यूं तो सभी दल प्रतिशत को लेकर अलग-अलग दावे कर रहे हैं और नफा-नुकसान भी तोल रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से मुझे इसका फायदा विपक्षी दल को मिलने की संभावना है। इसकी वजह यह है कि चुनाव जातिगत रूप से बंटा हुआ रहा है। कांग्रेस के परंपरागत वोट में सेंध नहीं लग सकी। सत्ताधारी दल का जो परंपरागत वोट था, उसके वोट कम डले। लोग घरों से बाहर वोट डालने नहीं निकले। कमोबेश कुछ मुद्दे ऐसे रहे कि इस बार भाजपा का वोट थोड़ा कटा, इसका फायदा दूसरे दल को मिल सकता है। मेवात में वोट प्रतिशत बढऩे का कारण यह है कि इस बार वहां वोट विधानसभा चुनाव की तरह नहीं बंटा। ऐसे में यहां मेव ने एक मुश्त होकर वोट किया।
पं. रामकिशन शर्मा, पूर्व सांसद

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