सपा-बसपा गठबंधन के पूर्व जहां जिले में बसपा की तरफ से पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा को प्रत्याशी बनाए जाने की कयासबाजी चल रही थी वहीं अब बसपा से तीन बार मझवां के विधायक रमेश बिंद के नाम की भी चर्चा तेजी से चल रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर यह सीट बसपा के खाते में गयी तो भदोही में बिंद मतदाताओं की भारी संख्या को देखते हुए बसपा किसी विंद बिरादरी के कद़ावर नेता को पार्टी का प्रत्याशी बनाकर इस सीट पर उतार सकती है।
भदोही लोकसभा सीट पर वाकई में ब्राम्हण और विंद के साथ मौर्य मतदाताओं की निर्णायक भूमिका इसलिए मानी जाती है कि इन मतदाओं का समय समय पर अलग अलग पार्टियों के प्रति झुकाव देखने को मिला है। लोकसभा क्षेत्र में जहां तीन लाख से अधिक संख्या ब्राह्मण मतदाओं की है तो वहीं ढाई लाख से अधिक संख्या बिंद मतदाताओं और सवा लाख से अधिक मौर्य मतदाताओं की संख्या मानी जाती है। भदोही लाेकसभा सीट का गठन 2009 में हुआ था और उस चुनाव में बसपा को जीत मिली थी। लेकिन इसके पहले भदोही क्षेत्र मिर्जापुर लोकसभा में था।
इस सीट पर एक बार बिंद बिरादरी के रामरती बिंद सपा से 13वीं लोकसभा के उपचुनाव में जीत कर सांसद बने तो एक बार मौर्य बिरादरी के नरेन्द्र कुशवाहा भी एक बार बसपा से सांसद चुने गए। जबकि बसपा से ही दो ब्राह्मण सांसद रमेश दुबे और गोरखनाथ पाण्डेय लोकसभा पहुंच चुके हैं। ऐसे में बसपा के इस सीट को लेकर बसपा में टिकट पाने के लिए नेताओं के बीच में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है लेकिन यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा कि इस सीट से सपा-बसपा गठबंधन के तहत कौन चुनावी मैदान में होगा।
BY- MAHESH JAISWAL