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सीएमडी से मिलने से रोका तो ग्रामीणों ने खदान परिसर को घेरा

locationबेतुलPublished: Jun 17, 2018 03:31:24 pm

Submitted by:

rakesh malviya

वेकोलि प्रबंधन द्वारा पुलिस बल भी बुलवा, स्थिति बिगड़ते देख खुद सीएमडी आरआर मिश्र ग्रामीणों से मिलने पहुंचे और एक-एक कर समस्याएं सुनी

Villagers block the mine complex if they stop meeting CMD

सीएमडी से मिलने से रोका तो ग्रामीणों ने खदान परिसर को घेरा

सारनी. वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के सीएमडी आरआर मिश्र शुक्रवार को पाथाखेड़ा के दौरे पर थे। यहां की छतरपुर-1 माइन पहुंचे सीएमडी से मिलने गांव का एक प्रतिनिधि मंडल पहुंचा। लेकिन क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा गांव के दल को सीएमडी से मिलने से रोक दिया गया। इससे गुस्साएं गांव के लोगों ने देखते ही देखते खदान परिसर का घेराव कर दिया। सडक़ पर जाम लगा दिया। हालात नियंत्रण में करने वेकोलि प्रबंधन द्वारा पुलिस बल भी बुलवा लिया गया। लेकिन स्थिति बिगड़ते देख खुद सीएमडी आरआर मिश्र ग्रामीणों से मिलने पहुंचे और एक-एक कर समस्याएं सुनी। दरअसल 1991-92 से छतरपुर पंचायत अंतर्गत दो भूमिगत (छतरपुर-वन, छतरपुर-टू) कोयला खदानें संचालित हो रही है। इसका असर यह हुआ कि पंचायत की सैकड़ों हेक्टेयर उपजाऊ भूमि बंजर हो गई। दरअसल जलस्त्रोत सामान्य से कहीं ज्यादा नीचे चला गया। यहां के ग्रामीणों के पास रोजगार के नाम पर खेती के अलावा कुछ भी नहीं है। ऐसे में जलस्तर नीचे चले जाने से खेती करना भी मुश्किल हो गया। जिससे ग्रामीणों का गुस्सा फूटना लाजमी है। बताया जाता है कि वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) के सीएमडी आरआर मिश्र शुक्रवार को छतरपुर-1 माइन खदान में कामगारों की सुविधा के लिए मेन राइडिंग का शुभारंभ करने आए थे।
27 साल से विकास की राह तक रहे ग्रामीण
पंचायत के युवा समाजसेवी सुनील सरियाम, मुकेश धुर्वे बताते हैं कि खदान खुलने के बाद हमारी पंचायत और आसपास के गांवों के विकास का इंतजार है। लेकिन कोल प्रबंधन द्वारा अब तक ऐसा कुछ नहीं किया। जिससे हमारे गांव का विकास हुआ हो। हर बार सिर्फ आश्वासन देते हैं। जमीनी हकीकत सबके सामने हैं। उन्होंने कहा कि खदान खुले 27 साल बीत गए हैं। लेकिन पंचायत की सुध नहीं ली गई। ग्रामीणों ने सीएमडी को बताया कि छतरपुर-1 खदान में आधा दर्जन ग्रामीणों की जमीन गई थी। लेकिन नौकरी सिर्फ एक व्यक्ति को मिली है। कोल प्रबंधन से लड़ाई लड़ते हुए 15 साल हो गए हैं। लेकिन निर्णय अब तक नहीं आया।
छतरपुर पंचायत में हैं 98 प्रतिशत आदिवासी
जनपद पंचायत घोड़ाडोंगरी अंतर्गत छतरपुर पंचायत की आबादी करीब 4 हजार है। इसमें 98 प्रतिशत आदिवासी है। जिनकी जीविका का मुख्य साधन खेती है। लेकिन खदान खुलने के बाद भू-जलस्तर तेजी से घट गया और रोजगार के अभाव में ग्रामीणों को दूसरे प्रदेशों में पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने सीएमडी के सामने स्पष्ट रूप से कहा है कि समय रहते गांवों में व्याप्त समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो हम अपनी जायज मांगों और अधिकार को लेकर जल्द ही आंदोलन करेंगे। सुनील सरियाम ने बताया कि समस्या सुनने के बाद सीएमडी ने निराकरण का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं से वे अनजान थे। सीएमडी से चर्चा करने वालों में पूर्व उपसरपंच दिलीप वरकड़े, सरपंच सुंदरलाल कुमरे, बिजलसिंह सयिाम, कैलाश सरियाम, जियालाल धुर्वे, पूर्व सरपंच कैलाश वरकड़े, उपसरपंच देवकराम ककोडिय़ा, सुखलाल धुर्वे, रामशा वरकड़े समेत सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल है।

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