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बिना डॉक्टर के चल रही यहां की माइंस डिस्पेंसरी

locationबेतुलPublished: May 08, 2018 08:13:41 pm

Submitted by:

poonam soni

विशेषज्ञों की कमी, साधारण बीमारी के मरीज भी हो रहे रैफर, जरुरत 15 की, आठ डॉक्टरों के भरोसे अस्पताल

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सारनी. वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड पाथाखेड़ा के अस्पताल की बदहाल व्यवस्था से कर्मचारियों और उनके परिजनों को जूझना पड़ रहा है। 100 बिस्तर वाले इस अस्पताल में विशेषज्ञों की भारी कमी है। वहीं शोभापुर और सारनी माइंस डिस्पेंसरी में तो डॉक्टर तक नहीं है। यहां का स्टॉफ बाकायदा डिस्पेंसरी पहुंचते हैं और समय होने पर वापस घर लौट आते हैं। इसी तरह के हाल वेकोलि अस्पताल के भी है। यहां कहने को भले ही 8 डॉक्टर है। लेकिन विशेषज्ञ नहीं होने से साधरण बीमारी के मरीज को भी रेफर कर दिया जाता है।
अस्पताल की व्यवस्था देख मरीज भी यहां उपचार कराने से कतराते हैं। अस्पताल सूत्र बताते हैं कि हड्डी रोग विशेषज्ञ परासिया से सप्ताह में तीन दिन पाथाखेड़ा आते हैं। खासबात यह है कि अस्पताल की बदहाली और चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी से पांचों केंद्रीय ट्रेड यूनियन के नेता भलीभांति अवगत है। बावजूद इसके व्यवस्था में सुधार के लिए प्रबंधन पर दबाव बनाने में पीछे हैं। यही वजह है कि कामगारों में श्रम संगठन के प्रति विश्वास कम होता जा रहा है।

लेप्स हो जाता बजट
वेकोलि के जानकार सूत्र बताते हैं कि वेकोलि मुख्यालय से हर साल वेलफेयर बजट जारी होता है। लेकिन कार्य करने की इच्छा शक्ति के अभाव में हर साल बजट लेप्स हो रहा है। ऐसा भी नहीं है कि पाथाखेड़ा क्षेत्र में वेलफेयर कमेटी नहीं है। बावजूद इसके कोई भी रुचि लेकर कार्य करने को तैयार नहीं है।
दवा की भी कमी
100 बिस्तर वाले वेकोलि अस्पताल में दवाइयों का इतना टोटा है कि सामान्य बीमारी की दवाइयां भी स्टॉक में नहीं है। आपातकालीन दवाइयों के लिए मरीजों के परिजनों को यहां-वहां भटकना पड़ता है। अक्सर यह देखने में आया है कि दवाइयों के अभाव में मरीजों को मेडिकल से दवाइयां लेनी पड़ती है।
ये डॉक्टर है पदस्थ
वेकोलि अस्पताल में डॉ. मिलिंद मोघे, डॉ. जितेन्द्र, डॉ. चेतन, डॉ. सुभाष सिंह, डॉ. इत्तू चटर्जी, डॉ. निलिमा शाह, डॉ. निलिमा लाल, डॉ. रमा शुक्ला पदस्थ है। जबकि ई एण्ड टी, फिजिशियन, आई स्पेशलिस्ट, रेडियोलाजिस्ट की कमी है जिसके कारण अस्पताल में रखी कीमती मशीने बेकार साबित हो रही है।
अस्पताल से मिली जानकरी के अनुसार जिस वक्त 12 हजार मेन पॉवर था। उस समय वेकोलि अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञ समेत 33 डॉक्टर पदस्थ थे। वर्तमान में मेन पॉवर 5500 के करीब है। डॉक्टरों की संख्या महज 8 है। विशेषज्ञ की कमी बनी है। जबकि मौजूदा हालात में विशेषज्ञों समेत 15 डॉक्टरों की जरूरत है।
ठंड बस्ते में प्रक्रिया
शोभापुर और सारनी माइंस डिस्पेंसरी में 6-2 का स्टॉफ है। जबकि यहां कोई भी डॉक्टर पदस्थ नहीं है। ऐसे में प्रत्येक कर्मचारी को करीब 60 हजार रुपए वेतन सुविधा जोड़कर करीब 90 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान होता है। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन महाप्रबंधक स्टेट गवर्नमेंट को दोनों डिस्पेंसरी देने की प्रक्रिया शुरू की थी। कलेक्टर, एसडीएम, विधायक, चिकित्सा अधिकारी, नपा सीएमओ समेत आलाअफसरों द्वारा डिस्पेंसरी का निरीक्षण भी किया। लेकिन अधिकारियों के स्थानांतरण होने से प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी है।
1. पैरामेडिकल स्टॉफ की तत्काल पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग वेकोलि प्रबंधन से की है। महारत्न कंपनी के अस्पताल की इतनी बदहाल व्यवस्था कहीं नहीं है। इलाज के लिए कोल कर्मियों को 250 किमी दूर जाना पड़ता है।
अशोक मालवीय, महामंत्री बीएमएस, पाथाखेड़ा

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