लेप्स हो जाता बजट
वेकोलि के जानकार सूत्र बताते हैं कि वेकोलि मुख्यालय से हर साल वेलफेयर बजट जारी होता है। लेकिन कार्य करने की इच्छा शक्ति के अभाव में हर साल बजट लेप्स हो रहा है। ऐसा भी नहीं है कि पाथाखेड़ा क्षेत्र में वेलफेयर कमेटी नहीं है। बावजूद इसके कोई भी रुचि लेकर कार्य करने को तैयार नहीं है।
दवा की भी कमी
100 बिस्तर वाले वेकोलि अस्पताल में दवाइयों का इतना टोटा है कि सामान्य बीमारी की दवाइयां भी स्टॉक में नहीं है। आपातकालीन दवाइयों के लिए मरीजों के परिजनों को यहां-वहां भटकना पड़ता है। अक्सर यह देखने में आया है कि दवाइयों के अभाव में मरीजों को मेडिकल से दवाइयां लेनी पड़ती है।
ये डॉक्टर है पदस्थ
वेकोलि अस्पताल में डॉ. मिलिंद मोघे, डॉ. जितेन्द्र, डॉ. चेतन, डॉ. सुभाष सिंह, डॉ. इत्तू चटर्जी, डॉ. निलिमा शाह, डॉ. निलिमा लाल, डॉ. रमा शुक्ला पदस्थ है। जबकि ई एण्ड टी, फिजिशियन, आई स्पेशलिस्ट, रेडियोलाजिस्ट की कमी है जिसके कारण अस्पताल में रखी कीमती मशीने बेकार साबित हो रही है।
अस्पताल से मिली जानकरी के अनुसार जिस वक्त 12 हजार मेन पॉवर था। उस समय वेकोलि अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञ समेत 33 डॉक्टर पदस्थ थे। वर्तमान में मेन पॉवर 5500 के करीब है। डॉक्टरों की संख्या महज 8 है। विशेषज्ञ की कमी बनी है। जबकि मौजूदा हालात में विशेषज्ञों समेत 15 डॉक्टरों की जरूरत है।
ठंड बस्ते में प्रक्रिया
शोभापुर और सारनी माइंस डिस्पेंसरी में 6-2 का स्टॉफ है। जबकि यहां कोई भी डॉक्टर पदस्थ नहीं है। ऐसे में प्रत्येक कर्मचारी को करीब 60 हजार रुपए वेतन सुविधा जोड़कर करीब 90 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान होता है। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन महाप्रबंधक स्टेट गवर्नमेंट को दोनों डिस्पेंसरी देने की प्रक्रिया शुरू की थी। कलेक्टर, एसडीएम, विधायक, चिकित्सा अधिकारी, नपा सीएमओ समेत आलाअफसरों द्वारा डिस्पेंसरी का निरीक्षण भी किया। लेकिन अधिकारियों के स्थानांतरण होने से प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी है।
1. पैरामेडिकल स्टॉफ की तत्काल पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग वेकोलि प्रबंधन से की है। महारत्न कंपनी के अस्पताल की इतनी बदहाल व्यवस्था कहीं नहीं है। इलाज के लिए कोल कर्मियों को 250 किमी दूर जाना पड़ता है।
अशोक मालवीय, महामंत्री बीएमएस, पाथाखेड़ा
वेकोलि के जानकार सूत्र बताते हैं कि वेकोलि मुख्यालय से हर साल वेलफेयर बजट जारी होता है। लेकिन कार्य करने की इच्छा शक्ति के अभाव में हर साल बजट लेप्स हो रहा है। ऐसा भी नहीं है कि पाथाखेड़ा क्षेत्र में वेलफेयर कमेटी नहीं है। बावजूद इसके कोई भी रुचि लेकर कार्य करने को तैयार नहीं है।
दवा की भी कमी
100 बिस्तर वाले वेकोलि अस्पताल में दवाइयों का इतना टोटा है कि सामान्य बीमारी की दवाइयां भी स्टॉक में नहीं है। आपातकालीन दवाइयों के लिए मरीजों के परिजनों को यहां-वहां भटकना पड़ता है। अक्सर यह देखने में आया है कि दवाइयों के अभाव में मरीजों को मेडिकल से दवाइयां लेनी पड़ती है।
ये डॉक्टर है पदस्थ
वेकोलि अस्पताल में डॉ. मिलिंद मोघे, डॉ. जितेन्द्र, डॉ. चेतन, डॉ. सुभाष सिंह, डॉ. इत्तू चटर्जी, डॉ. निलिमा शाह, डॉ. निलिमा लाल, डॉ. रमा शुक्ला पदस्थ है। जबकि ई एण्ड टी, फिजिशियन, आई स्पेशलिस्ट, रेडियोलाजिस्ट की कमी है जिसके कारण अस्पताल में रखी कीमती मशीने बेकार साबित हो रही है।
अस्पताल से मिली जानकरी के अनुसार जिस वक्त 12 हजार मेन पॉवर था। उस समय वेकोलि अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञ समेत 33 डॉक्टर पदस्थ थे। वर्तमान में मेन पॉवर 5500 के करीब है। डॉक्टरों की संख्या महज 8 है। विशेषज्ञ की कमी बनी है। जबकि मौजूदा हालात में विशेषज्ञों समेत 15 डॉक्टरों की जरूरत है।
ठंड बस्ते में प्रक्रिया
शोभापुर और सारनी माइंस डिस्पेंसरी में 6-2 का स्टॉफ है। जबकि यहां कोई भी डॉक्टर पदस्थ नहीं है। ऐसे में प्रत्येक कर्मचारी को करीब 60 हजार रुपए वेतन सुविधा जोड़कर करीब 90 हजार रुपए प्रतिमाह की दर से भुगतान होता है। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन महाप्रबंधक स्टेट गवर्नमेंट को दोनों डिस्पेंसरी देने की प्रक्रिया शुरू की थी। कलेक्टर, एसडीएम, विधायक, चिकित्सा अधिकारी, नपा सीएमओ समेत आलाअफसरों द्वारा डिस्पेंसरी का निरीक्षण भी किया। लेकिन अधिकारियों के स्थानांतरण होने से प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी है।
1. पैरामेडिकल स्टॉफ की तत्काल पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग वेकोलि प्रबंधन से की है। महारत्न कंपनी के अस्पताल की इतनी बदहाल व्यवस्था कहीं नहीं है। इलाज के लिए कोल कर्मियों को 250 किमी दूर जाना पड़ता है।
अशोक मालवीय, महामंत्री बीएमएस, पाथाखेड़ा