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एक सैकड़ा पंचायतों को बांटी एक करोड़ रुपए की खेल सामग्री लापता

locationबेतुलPublished: Aug 24, 2018 04:25:14 pm

Submitted by:

rakesh malviya

पंचायतों में पड़ी है खेल सामग्री भी गायब हो चुकी, अधिकारियों ने नहीं ली सुध

khel samagri

एक सैकड़ा पंचायतों को बांटी एक करोड़ रुपए की खेल सामग्री लापता

पायका योजना के तहत इस तरह से होती है स्पर्धाएं
बैतूल. ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए पंचायत स्तर पर पायका योजना के तहत जिला पंचायत द्वारा डेढ़ सौ से अधिक खेल मैदान बनाए गए और जिला खेल युवक कल्याण विभाग द्वारा चयनित पंचायतों को एक करोड़ से अधिक की खेल सामग्रियां भी बांटी गई, लेकिन आज तक इन खेल सामग्रियों का कोई उपयोग नहीं हो सका। एक सैकड़ा पंचायतों को जो खेल सामग्रियां बांटी गई थी वह पंचायत भवनों एवं स्कूलों के कमरों में कैद है। कुछ पंचायतों से तो खेल सामग्री ही गायब हो चुकी है। चूंकि पायका योजना सरकार ने बंद कर दी, इसलिए विभाग ने भी खेलों में रूचि लेना बंद कर दिया। यही कारण है कि संसाधनों के अभाव में ग्रामीण खेल प्रतिभाएं पिछड़ जाती है।
मैदान से क्रीड़ा श्री भी नदारद
जिले में पायका के तहत 500 रुपए प्रतिमाह जैसे अल्प मानदेय पर क्रीड़ा श्री नियुक्त किए गए थे। इन्हें एक साल के एग्रीमेंट पर पार्टटाइम जॉब जैसी नियुक्ति दी गई थी। पिछले कुछ माह से जिले में नियुक्त क्रीड़ा श्री को मानदेय ही नहीं दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में जो क्रीड़ा श्री खेलों के प्रति व्यक्तिगत लगाव के कारण थोड़ी बहुत रूचि भी लेते थे उन्होंने भी रूचि लेना ही बंद कर दिया। उनका कहना था कि 500 रुपए में फुल टाइम सेवाएं देना संभव भी नहीं था और अब तो महीने से यह भी नहीं मिल रहे हैं।
योजना ही बंद हो गई
ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने के लिए पायका योजना वर्ष 2008 में शुरू की गई थी लेकिन कुछ साल बाद इसे बंद कर दिया गया। बताया गया कि प्रदेश स्तर पर योजना का सफल संचालन नहीं होने के कारण इसे अचानक बंद करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि जिले में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है लेकिन संसाधनों और प्रशिक्षण के अभाव में यह प्रतिभाएं सामने नहीं आ पाती है। सरकार ने पायका योजना संचालित की है लेकिन इसका भी कोई लाभ नहीं मिला।जो खेल सामग्रियां बांटी गई है वह ताले में कैद हो गई है। ऐसे में खेलों के नाम पर महज औपचारिकताएं ही निभाई जाती है।
यह है पायका का सच
1. पायका योजना के तहत ४६०० आबादी वाली ग्राम पंचायतों में एक- एक लाख रुपए की खेल सामग्री बांटी गई थी।
2. अधिकांश पंचायतों में खेल सामग्री स्कूल और पंचायत भवन में पड़ी हुई थी जो अब गायब हो चुकी हैं।
3. जिस कंपनी द्वारा खेल सामग्री प्रदाय कराई गई थी उसे पंचायत में जाकर खेल मैदान में सामग्री स्थापित करना थी जो अधिकांश जगह नहीं हुआ।
4. जो सामग्री सप्लाई की गई उसकी गुणवत्ता भी उसकी लागत के अनुरूप नहीं थी।
5. सामग्री वितरण के बाद खेल युवक कल्याण विभाग के स्थानीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने कभी भी मौका-मुआयना नहीं किया गया था।
6. जिले में लगभग एक सैकड़ा पंचायतों को एक करोड़ की सामग्री सप्लाई की गई।
7. मनरेगा के तहत इन पंचायतों में खेल मैदान बनाए जाना थे लेकिन यहां भी हालत खराब है।
8. जो क्रीड़ा श्री भी नियुक्त किए गए उनमें खेल विशेषज्ञता को लेकर कोई मापदंड नहीं था।
पंचायतों को यह दी गई थी सामग्री
खेल – उपकरण – तादात
मल्टीपर्पस – मेट – 40 नग
फुटबाल – गोल पोस्ट – 01 नग
व्हालीबॉल – पोस्ट – 01 नग
हैंडबॉल – पोल – 01 नग
खो-खो – पोल – 01 नग
हाई – जम्प – 01 नग
जेवलिन – (मेन) – 01नग
जेवलिन – (वूमेन) – 01 नग
डिस्कस – (मेन) – 01 नग
डिस्कस – (वूमेन) – 01 नग
शाटपुट – (मेन) – 01 नग
शाटपुट – (वूमेन) – 01 नग
टेकअप – बोर्ड – 01 नग
स्टॉप वॉच – 01 नग
हाई जम्प – स्टैंड – 01 नग
मेजरिंग टेप – (50 मी.) – 02 नग
मेजरिंग टेप – (20मी) – 02 नग
लाईन मार्किंग – मशीन – 01 नग
इनका कहना
पायका योजना अब बंद हो चुकी हैं।योजना के तहत जो खेल सामग्रियां बांटी गई थी वह पंचायतों के पास हैं। कुछ पंचायतों ने सामग्री स्कूलों को दे दी है। खेलों में सामग्री का उपयोग पंचायतों के माध्यम से कराया जाना था। इसके लिए प्रत्येक पंचायत में क्रीड़ा श्री भी रखे गए थे।
मनु धुर्वे, जिला खेल एवं युवक कल्याण विभाग अधिकारी बैतूल
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