अचानक राजनांदगांव रेफर करने से हितग्राहियों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। दोपहर में लिए निर्णय के बाद 11 मरीजों मे से भगैया बाई साहू देवरबीजा, सीताराम लोधी टकसीवा, सजनु सतनामी मोहलाई, अमरिका बाई वर्मा बेरा, दुरूपति वर्मा भिंभैारी, सुखरिया वर्मा भन्सुली व कौशिल्या मरार को राजनांदगांव रवाना किया गया। जैसे-तैसे कर वाहन में भरकर जिला हॉस्पिटल से मरीजों को भेजा गया। वाहन में स्थान नहीं होने पर मरीजों के परिजन को निजी वाहन या बस से राजनांदगांव जाना पड़ा है। जानकारों ने बताया इस तरह की स्थिति आए दिन नजर आती है, जिसमें मरीजों को लौटना पड़ता है या फिर दीगर हॉस्पिटल की टीम आकर ले जाती है। 7 मरीजों के आलावा सेवती बाई भिंभौरी, देवकुमार सतनामी पटना कापा, भगनी वर्मा भिंभौरी व जक्लु यादव सुरेहोली का ऑपरेशन किया गया।
शासन से अनुबंधित दीगर जिले के प्राइवेट हॉस्पिटल में बीते सालभर में जिले के करीब 2800 मरीजों के मोतियाबिंद की सर्जरी हुई है। स्मार्ट कार्ड से प्रत्येक मोतियाबिंद सर्जरी के लिए करीब 7 हजार रुपए का पैकेज तय रहता है। ऐसी स्थिति में 2800 सर्जरी के लिए शासन ने प्राइवेट हॉस्पिटल को डेढ़ करोड से अधिक का भुगतान किया है। अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत केन्द्र सरकार सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को नि:शुल्क मोतियाबिंद सर्जरी के लिए पर्याप्त फंड मुहैया कराती है। लेकिन चिकित्सकों की कर्तव्यहीनता का नतीजा मरीज भुगतते हैं।
बताना होगा कि जिला मुख्यालय में नेत्र चिकित्सालय निर्माण के लिए केन्द्र सरकार ने एक करोड़ रुपए स्वीकृत किए। इसमें इससे भवन निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, जिसके बाद 25 लाख रुपए से उपकरण खरीदी होना है। निर्माण का ठेका दुर्ग के कान्ट्रैक्टर गोपाल उपाध्याय को दिया गया है। शासन से स्वीकृत राशि 80 लाख रुपए में भवन का निर्माण पूर्ण नहीं होने पर सीजीएमएससी से 22 लाख रुपए का रिवाइज स्टीमेट जारी किया गया, जिसके बाद जारी फंड निर्माण पूर्ण हो चुका है। भवन का निर्माण केन्द्र सरकार से स्वीकृत राशि में ही पूर्ण किया जाना था। लेकिन लागत बढ़ऩे से बीते सालभर से भवन का निर्माण रुका था। राज्य शासन ने 22 लाख रुपए का रिवाइज स्टीमेट स्वीकृत किया था। इसके बाद भवन रैंप निर्माण, रंगरोगन, विद्युतीकरण, प्लम्बर वर्क सहित अन्य कार्यों पूर्ण किया गया। अब भवन बनकर तैयार है पर लोकार्पण नहीं होने की वजह से ताला जड़ा हुआ है। नेत्र चिकित्सालय के प्रांरभ होने पर मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए जिलावासियों की दीगर जिलों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। वहीं स्थायी हॉस्पिटल होने पर जिलेवासियों को सुविधा मिल सकेगी। साथ ही शासन के फंड की बचत होगी।
बेमेतरा जिला अस्पताल के सीएस डॉ. एसके पाल ने कहा कि मैं कलक्टोरेट में मीटिंग में था। 11 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन होना था, जिसमें से 7 मरीजों को राजनादगाव भेजने की जानकारी मुझे नहीं है। कल जानकारी लेकर ही बता पाऊंगा। अंधत्व निवारण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. वीके ताम्रकार ने कहा कि जनवरी तक जिले के 2800 मरीजों का मोतियाबिन्द ऑपरेशन अनुबंधित हॉस्पिटल में किया गया है। कलक्टर महादेव कावरे ने कहा कि सीजीएमसी के अधिकारियों को नेत्र अस्पताल शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।