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इस जिले के 88 गांवों में अकाल की आहट, 70 फीसदी फसल चौपट, परेशान किसान, खेतों में वीरानी

locationबेमेतराPublished: Sep 19, 2018 03:27:58 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

खेतों में दरार, झुलस चुके फसल, खरपतवार से पटे खेत, खेतों में वीरानी। यह तस्वीर इन दिनों नवागढ़ विधानसभा के मारो राजस्व सर्किल के गांवों में देखी जा सकती है।

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इस जिले के 88 गांवों में अकाल की आहट, 70 फीसदी फसल चौपट, परेशान किसान, खेतों में वीरानी

बेमेतरा /नवागढ़. खेतों में दरार, झुलस चुके फसल, खरपतवार से पटे खेत, खेतों में वीरानी। यह तस्वीर इन दिनों नवागढ़ विधानसभा के मारो राजस्व सर्किल के गांवों में देखी जा सकती है। नवागढ़ विधानसभा में नवागढ़ राजस्व सर्किल के 105 एवं मारो राजस्व सर्किल के 88 गांव के तस्वीर में भिन्नता है।
फसल की तैयारी नहीं हो पा रही
नवागढ़ राजस्व सर्किल में 70 फीसदी फसल अभी बेहतर उम्मीद बंधा रहे हैं, तो मारो सर्किल में 70 फीसदी फसल स्वाहा हो गए हैं। आलम यह है कि किसान खेत जाना ही छोड़ दिए हैं। खेतों में पड़ी दरार के कारण रवि फसल की तैयारी नहीं हो पा रही है।
फसल चराई कराने की आ गई है नौबत
नवागढ़ से नारायणपुर तक 36 किमी में, कंवराकांपा से नारायणपुर तक 30 किमी में अकाल को करीब से देखा जा सकता है। कंवराकांपा जहां पर पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग आसमान को निहार रहे हैं। यहां पेयजल निस्तारी का संकट है। 80 फीसदी खेत सूख गए हैं। पावर पंप साथ छोड़ दिए हैं। कंवराकांपा के जैसी स्थिति ग्राम गोढ़ीकला की है।
जैतपुरी व संबलपुर में तो स्थिति और अधिक गड़बड़ है। इंद्रदेव की नाराजगी को करीब से देखा जा सकता है। ग्राम खेड़ा व पुटपुरा में भाग्यशाली किसानों के पावरपंप चल रहे हैं, यहां की तस्वीर चिंता से भारी है। ग्राम सोनिका में फसल सूख गए हैं। कई किसान फसल चराकर रबी की तैयारी में जुटे हैं।
किसानों के लिए संभव नहीं
रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाइवे, शिवनाथ तट पर बेशकीमती जमीन के मालिक किसान लगातार चार साल से अकाल को लेकर चिंतित हो गए हैं। रिटायर राजस्व निरीक्षक एमएल दिव्य ने कहा कि मानसून पर खेती करना अब इस क्षेत्र के किसानों के लिए संभव नहीं है।
5 साल पहले तक धान की दो फसल लेकर भाटापारा मंडी व बाजार में दबदबा रखने वाले किसान चारा भी नहीं उगा पा रहे हैं। मारो, नांदघाट, संबलपुर के आसपास के गांवों में तो भू-जल स्रोत ही गायब है। दिव्य ने कहा कि लगता है कि किसान कर्ज के कारण मानसिक रोगी न हो जाए।
किसानों पर पड़ रही दोहरी मार
खेड़ा-एरमशही सहित कई गांव में किसान रबी फसल की तैयारी के लिए धान के खेत में हल चला रहे हैं। लगभग 150 एकड़ रकबे में किसान नमी का उपयोग करने के लिए हल चला दिए हैं पर यह एक बड़ी समस्या है। यदि अध्ययन टीम मौके पर पहुंची तो मौके पर ठूंठ नहीं मिला तो बीमा क्लेम नहीं मिल पाएगा।
यदि क्लेम के लालच में यदि हल नहीं चलाए तो रबी फसल नहीं मिल पाएगा। मंत्री डीडी बघेल ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर से कहा है कि नवागढ़ विधानसभा में खंड वर्षा से प्रभावित गांवों का प्रारंभिक आंकलन कर कार्ययोजना बनाएं। कृषि उप संचालक, बेमेतरा शशांक शिंदे मारो सर्किल के कितने गांव सूखे की स्थिति में हैं मुझे पता नहीं है।
81 प्रतिशत बारिश फिर भी नहीं बचा सके पानी
नवागढ़ में अब तक 597 मिमी बारिश हुई है, जो औसत वर्षा के लिहाज से 81 प्रतिशत है। हालांकि खंड वर्षा के चलते नवागढ़ विधानसभा के कुछ इलाके में अच्छी बारिश नहीं हो सकी। लेकिन इस साल क्षेत्र में जितनी बारिश हुई है, उसे यदि सहेजा जाता तो इस साल किसानों को अकाल का सामना करना नहीं पड़ता।
लगातार अकाल, गंभीर जलसंकट के बाद भी पूरे ब्लॉक में पानी बचाने के लिए कहीं कोई अभियान नहीं चलाया गया। अब तक कहीं भी यह तस्वीर नहीं है, जिसे लोगों को दिखाया जा सके कि हमने पानी बचाया है। समस्या के अनुभव से किसी ने कुछ नहीं सीखा, जो चिंताजनक है।
क्षेत्र में बढ़ गया धान फसल का रकबा
कृषि विभाग का रिकॉर्ड बता रहा है कि बेहतर बाजार मूल्य, बोनस सहित कई लाभ के चलते किसान धान की ओर फिर रुझान बढ़ा दिए हैं। ग्राम एरमशही के किसान विकास शुक्ला ने बताया कि इस बार सामान्य बारिश व पूर्व में तीन अकाल के बाद किसानों को भरोसा था कि भरपूर पानी मिलेगा। इसलिए धान का रकबा बढ़ा दिए।
पिछले साल की तुलना में इस साल धान का रकबा लगभग 2000 हेक्टेयर बढ़ गया है। पिछले साल 41988.25 हेक्टेयर में धान की फसल बोई गई थी, जो इस साल बढ़कर 43732.57 हेक्टेयर रकबा में धान की खेती हो रही है।
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