नवागढ़ राजस्व सर्किल में 70 फीसदी फसल अभी बेहतर उम्मीद बंधा रहे हैं, तो मारो सर्किल में 70 फीसदी फसल स्वाहा हो गए हैं। आलम यह है कि किसान खेत जाना ही छोड़ दिए हैं। खेतों में पड़ी दरार के कारण रवि फसल की तैयारी नहीं हो पा रही है।
नवागढ़ से नारायणपुर तक 36 किमी में, कंवराकांपा से नारायणपुर तक 30 किमी में अकाल को करीब से देखा जा सकता है। कंवराकांपा जहां पर पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग आसमान को निहार रहे हैं। यहां पेयजल निस्तारी का संकट है। 80 फीसदी खेत सूख गए हैं। पावर पंप साथ छोड़ दिए हैं। कंवराकांपा के जैसी स्थिति ग्राम गोढ़ीकला की है।
रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाइवे, शिवनाथ तट पर बेशकीमती जमीन के मालिक किसान लगातार चार साल से अकाल को लेकर चिंतित हो गए हैं। रिटायर राजस्व निरीक्षक एमएल दिव्य ने कहा कि मानसून पर खेती करना अब इस क्षेत्र के किसानों के लिए संभव नहीं है।
खेड़ा-एरमशही सहित कई गांव में किसान रबी फसल की तैयारी के लिए धान के खेत में हल चला रहे हैं। लगभग 150 एकड़ रकबे में किसान नमी का उपयोग करने के लिए हल चला दिए हैं पर यह एक बड़ी समस्या है। यदि अध्ययन टीम मौके पर पहुंची तो मौके पर ठूंठ नहीं मिला तो बीमा क्लेम नहीं मिल पाएगा।
नवागढ़ में अब तक 597 मिमी बारिश हुई है, जो औसत वर्षा के लिहाज से 81 प्रतिशत है। हालांकि खंड वर्षा के चलते नवागढ़ विधानसभा के कुछ इलाके में अच्छी बारिश नहीं हो सकी। लेकिन इस साल क्षेत्र में जितनी बारिश हुई है, उसे यदि सहेजा जाता तो इस साल किसानों को अकाल का सामना करना नहीं पड़ता।
कृषि विभाग का रिकॉर्ड बता रहा है कि बेहतर बाजार मूल्य, बोनस सहित कई लाभ के चलते किसान धान की ओर फिर रुझान बढ़ा दिए हैं। ग्राम एरमशही के किसान विकास शुक्ला ने बताया कि इस बार सामान्य बारिश व पूर्व में तीन अकाल के बाद किसानों को भरोसा था कि भरपूर पानी मिलेगा। इसलिए धान का रकबा बढ़ा दिए।