धान खरीदी में शासन का रवैया अधिकारियों की मनमानी व अनुभवहीनता का परिणाम मैदान में नजर आ रहा है। अब सुलझे हुए लोग उलझन से बचाव का हरेक उपाय निकालने में लगे हैं। नवागढ़ ब्रांच के रनबोड समिति में जिन किसानों को धान का टोकन दिया गया था पर बारदाना संकट के कारण तौल नही हुआ, उन किसानों का धान के लिए समिति अपनी जिम्मेदारी से हाथ खड़े कर रही है। टोकन में यह लिखवाया जा रहा है कि धान नहीं खरीदी गई तो धान वापस ले जाऊंगा। धान बोरी की सुरक्षा की जि?मेदारी खुद की होगी।
भाजपा नेता डॉ. जगजीवन खरे ने कहा कि सरकार व सिस्टम दोनों फेल हैं। पहले दिन से ही सरकार ने धान नहीं खरीदने का निर्णय लिया था। अधिकारियों को टारगेट दे दिया गया था। पहले ताबड़तोड़ धान का रकबा कम किया गया। खुले बाजार में बिक्री बंद करा दी गई। हजारों किसान के रिकार्ड गायब करा दिए गए। खरीदी की लिमिट तय कर दी गई। 80 दिन में 40 दिन भी खरीदी नहीं हुई। परिवहन रोक दिया गया। डॉ. खरे ने कहा कि माह नवंबर में कुल रकबा पंजीकृत किसान व मात्रा तय था। इससे कितना बारदाना लगेगा किसी निरक्षर से पूछ लिया गया होता। किसानों को जानबूझकर परेशान करने यह सब किया जा रहा है।