गुजरे करीब एक दशक में सूचना के अधिकार अधिनियम के ऑनलाइन पोर्टल पर कुल 1,176 परिवाद प्राप्त हुए जिनमें से केवल 9 का ही निस्तारण हो पाया। यह आंकड़ा महज .76 प्रतिशत है। ऑनलाइन पोर्टल पर द्वितीय अपील के निस्तारण के आंकड़े भी चिंताजनक है। ऑनलाइन पोर्टल पर कुल दो हजार 513 द्वितीय अपील प्राप्त हुई। इसमें से केवल 462 अपीलों का ही निस्तारण हो पाया जो कि महज 18 प्रतिशत के बराबर है।
शास्ति की वसूली में भी ढिलाई अनदेखी का आलम यह है कि सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार कानून की पालना नहीं करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर पांच करोड 29 लाख 72 हजार 250 रुपए की शास्ति लगाई। लेकिन आयोग अब तक जिसमें से महज दो करोड़ 51 लाख 86 हजार 866 रुपए की ही वसूली हो सकी है।
यह है प्रमुख खामी अगर कोई व्यक्ति आटीआइ के तहत द्वितीय अपील के लिए डाक माध्यम से आवेदन करता है, तो उसकी कमी पूर्ति के लिए आयोग उसे दोबारा पत्र भेजता है। उसमें कमी पूर्ति पूरी करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है। जबकि अक्सर मामलों में यह देखा जाता है कि पत्र पहुंचने में ही 15 दिन लग जाते हैं। ऐसे में समय पर कमी पूर्ति नहीं करने पर आवेदन स्वत: ही निरस्त हो जाता है। इस पर आवेदक को दुबारा नए सिरे से प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
इंजीनियर गौरव चौरोटिया ने सूचना के अधिकार के तहत ऑनलाइन सूचना पोर्टल पर हुए खर्च, दर्ज हुए प्रकरण एवं उनके निस्तारण के जानकारी चाही। इस पर राज्य लोक सूचना अधिकारी ने यह आंकड़े उपलब्ध करवाए। यह सूचना के अधिकार कानून की अब तक कार्रवाई का पूरा लेखा-जोखा है। इस सूचना ने सूचना के अधिकार कानून की मंशा में बाधक बनी व्यवस्था की वास्तविकता को सामने ला दिया है।
आंकड़ों के आइने में(वर्ष 2005 से 15 मई 2023 तक) ऑनलाइन पोर्टल पर 1176 परिवाद दर्ज कुल 9 परिवादों का निस्तारण 2,513 द्वितीय अपील प्राप्त 462 द्वितीय अपीलों का निस्तारण
पांच करोड़ 29 लाख 72 हजार 250 रुपए की शास्ति दो करोड़ 51 लाख 86 हजार 866 रुपए की वसूली