इनसे राहत पाने के लिए लोग खानेपीने की आदतों में बदलाव करते व दवाइयां (खाने और लगाने की) आदि लेते हैं। लेकिन कई बार ये उपाय भी काम नहीं आते। ऐसी स्थिति में प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (पीआरपी) तकनीक फायदेमंद हो सकती है।
पीआरपी की प्रक्रिया: इसमें मरीज के शरीर से 20 से 30 मिलिलीटर खून निकाला जाता है। फिर इस खून को प्लाज्मा में बदलकर इंजेक्शन की सहायता से त्वचा में जरूरत की जगह इंजेक्ट किया जाता है। प्लाज्मा में वृद्धिकारक तत्त्व अत्यधिक मात्रा में मौजूद होते हंै। इसे बालों की जड़ों में इंजेक्ट करने से जड़ों को जरूरी पोषक तत्त्व मिल जाते हैं और उनको ताकत मिलने से बाल बढऩे लगते हैं।
त्वचा में कसाव : यही वृद्धिकारक तत्त्व चेहरे की त्वचा में मौजूद कोलेजन नामक प्रोटीन को भी बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे झाइयां, हल्की झुर्रियां और उम्र के साथ होने वाली फाइन लाइन्स की समस्या कम हो जाती हैं। इसके अलावा प्लेटलेट रिच प्लाज्मा की तकनीक से ढीली त्वचा में कसाव भी लाया जा सकता है।
अल्सर में भी फायदेमंद: इस तकनीक को ठीक न होने वाले घाव (नॉन हीलिंग अल्सर) और मधुमेह के कारण होने वाले अल्सर के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है।
प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (प्लेट-लेट रिच प्लाज्मा इंजेक्शन ) झड़ते बाल और त्वचा की उम्र से संबंधित परेशानियों के इलाज की तकनीक है। कंधों, कोहनी, कलई, घुटनों, कूल्हों व टखने के ऊत्तकों की परेशानी में भी प्रयोग करते हैं।