बता दें कि इस गांव आजादी के 70 साल बीत गए। कई सरकारें आई और चली गई। लेकिन यहां न तो दलितों के इस गांव में न सड़क है, न अस्पताल, न शौचालय न नाली, न पेंशन और न ही जरूरतमंदों को राशन की सुविधा मिली है।
सरकार की कई महत्वपूर्ण व जनहित योजनाओं के नाम पर इस गांव के ग्रामीणों को अभी तक केवल ठगा गया है और तो और इन ग्रामीणो के साथ सौतेला व्यवहार बस्ती के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया। जब बनकटा गांव के ग्रामीण राजनेताओं से गुहार लगा कर थक गये तब इन लोगो ने आगामी 2019 की लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना लिया है। जगह जगह होडिंग व पोस्टर चपका दिये है विकास नही तो वोट नही, ग्रामीणों मे काफी रोष व्याप्त है, आरोप लगा रहे कि किसी भी पार्टी के नेता को गांव मे वोट मांगने के लिये तब तक प्रवेश नही करने देगें जब तक हमारे लिये रोड, टॉयलेट, पेंशन, नाली और राशेंकार्ड नही बनवा देते ।
सरकार की कई महत्वपूर्ण व जनहित योजनाओ के नाम पर इस गांव के ग्रामीणों को अभी तक केवल ठगा गया है और तो और इन ग्रामीणो के साथ सौतेला व्यवहार बस्ती के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया। जब बनकटा गांव के ग्रामीण राजनेताओं से गुहार लगा कर थक गये तब इन लोगों ने आगामी 2019 की लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का मन बना लिया है। जगह जगह होडिंग व पोस्टर चपका दिये है विकास नही तो वोट नहीं ग्रामीणों मे काफी रोष व्याप्त है। आरोप लगा रहे कि किसी भी पार्टी के नेता को गांव मे वोट मांगने के लिये तब तक प्रवेश नहीं करने देगें जब तक हमारे लिये रोड, टॉयलेट, पेंशन, नाली और राशेंकार्ड नही बनवा देते ।
गौरतलब है कि सरकार के सबका साथ सबका विकास के इस दावें की पोल ग्रामीण खुद खोल रहे हैं, गांव में 70 साल के बाद भी पूरी तरह से विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंच पाई है। लोक सभा चुनाव के वोटिंग से पहले ग्रामीण विकाश न करने पर जगह जगह नए तरीके से विरोध कर रहे हैं, मीडिया की टीम गांव में विकास का जायजा लेने के लिए पहुंची तो ग्रामीण इकट्ठा होकर रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे सहित प्रशासन के खिलाफ भी विरोध प्रकट किया।
ग्रामीणों ने कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी हमारे गांव में एक रोड तक नहीं बन पाया तो हमारे गांव में और विकास कैसे होगा, इसलिए हम सब ग्रामीण मिलकर 2019 लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे और किसी भी दल के नेता को गांव में नहीं घुसने देंगे। अगर गांव में किसी दल के नेता घुसने का प्रयास करेंगे तो उसे हम सब जूते से मारेंगे। हम गांव वाले खुद तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे और आस-पास के गांव के लोगो से भी चुनाव बहिष्कार का समर्थन मांगेंगे। कहा कि जब तक हमारे गांव में विकाश का कोई काम नही होता तब तक हम लोग चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। एक तरफ सरकार चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए अरबो रुपए खर्च कर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं।
BY-Satish Srivastava
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