अनिमेष पाल/जगदलपुर. बस्तर में पदस्थ यह आईएएस अफसर एक ऐसा साइंटिफिक एक्सपीरिमेंट करने जा रहे हैं, जिसके बाद पूरे विश्व में बस्तर की पहचान बदल जाएगी। आप सोच रहे होंगे, क्या ऐसा संभव है। हम आपको बताना चाहेेंगे, अब से दो दिन बाद कुछ ऐसा ही होने वाला है। भारत समेत पूरे विश्व में बस्तर की पहचान नक्सल प्रभावित पिछड़े इलाके के तौर पर होती रही है पर 18 जनवरी के बाद पूरी दुनिया में बस्तर की पहचान यहां के बच्चों के साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स के लिए होगी।
यहां के बच्चे ऐसा प्रयोग करने जा रहे हैं, जो आज तक पूरी दुनिया में नहीं हुआ। बच्चों का यह साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट हमेशा के लिए दर्ज होगा, भारत के लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में। जिसमें पूरे विश्व के अनोखे रिकार्डस दर्ज होते हैं। यह सारा कमाल ऐसी चीजों से होगा, जिन्हें कबाड़ समझा जाता है। बच्चे साइंस का इस्तेमाल कर कबाड़ से ऐसी-ऐसी चीजें बनाएंगे जो न केवल उपयोगी होगी बल्कि आप इन्हें देखकर दांतों तले उंगली दबाने मजबूर होंगे।
30 हजार बच्चे एक साथ करेंगे एक्सपेरिमेंट, बनेगा वर्ल्ड रिकार्ड दरअसल, 18 जनवरी को बस्तर जिले के 637 स्कूलों के 30 हजार बच्चे, एक साथ मिलकर एक्सपेरिमेंट्स करने जा रहे हैं। जिले के 117 केन्द्रों पर विज्ञान प्रदर्शनी में स्कूली बच्चे अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शनी का महत्व इससे समझा जा सकता है, इससे पहले कभी भी पूरे दुनिया मेें इतनी बड़ी प्रदर्शनी नहीं हुई है। इस प्रदर्शन को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करने लिम्का बुक्स के अधिकारी बस्तर पहुंचेंगे।
आईएएस है साइंस का दीवाना, बच्चे सीखेंगे खेल-खेल में विज्ञान अब तक आप सोच रहे होंगे आखिरकार, वह कौन सा आईएएस अफसर हैं जो यह कारनामा करने जा रहा है। इस वृहद विज्ञान प्रदर्शनी का आइडिया है, बस्तर कलक्टर अमित कटारिया का। वे खुद भी देश में इंजीनियरिंग की सर्वोच्च संस्थान आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रानिक्स में बीटेक है।
बचपन से ही सांइस के दीवाने इस आईएएस अफसर की इच्छा, नक्सल प्रभावित बस्तर के बच्चों में भी साइंस के लिए रूचि जगाने की है। एक साल पहले वृहद सांइस मेले का आयोजन कर वे यहां के बच्चों को विज्ञान से मोहब्बत का पाठ पढ़ाने में कामयाब रहे। अब वे इस मकसद को एक कदम और आगे बढ़ाने जा रहे हैं।
कबाड़ से कमाल का है यह कॉन्सेप्ट बस्तर कलक्टर अमित कटारिया ने बताया, इस प्रदर्शनी की खासियत, विज्ञान के प्रयोग से कबाड़ से कमाल की चीजें तैयार करना है। इसमें अलग से कोई खर्च नहीं किया जा रहा है। प्राइमरी और मिडिल स्कूल के बच्चे इसमें हिस्सा लेंगे। इस पूरे आयोजन का मकसद बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि जगाना है। जब इतने सारे बच्चे एक साथ विज्ञान की मदद से एक्सपेरिमेंट्स करेंगे तो वे पढ़ाई के साथ ही प्रेक्टिकल तौर पर विज्ञान से जुड़ सकेंगे। इससे पूरे जिले में विज्ञान के प्रति माहौल बनेगा। इसके लिए विभिन्न क्लस्टर बनाए गए हैं, बच्चों को गाइडेंस भी दिया जा रहा है।