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बस्तर

मनमुताबिक खबरें नहीं छापी तो डॉक्टर उतर आए गुण्डागर्दी पर, पेशे को किया शर्मसार

धरती के भगवान कह जाने वाले डॉक्टरों ने बस्तर में पेशे को शर्मसार करते
हुए मीडियाकर्मियों के साथ गुण्डागर्दी की। वह भी सिर्फ इसलिए मीडिया ने
डॉक्टरों के कहे मुताबिक खबरें न छापकर असलियत को उजागर करने की कोशिश की।

बस्तरJan 12, 2017 / 11:06 am

Ajay shrivastava

doctors protest

doctors protest

जगदलपुर. धरती के भगवान कह जाने वाले डॉक्टरों ने बस्तर में पेशे को शर्मसार करते हुए मीडियाकर्मियों के साथ गुण्डागर्दी की। वह भी सिर्फ इसलिए मीडिया ने डॉक्टरों के कहे मुताबिक खबरें न छापकर असलियत को उजागर करने की कोशिश की। मामले की शुरूआत तब हुई जब गायनिक वार्ड में बीजापुर जिले के अंदरूनी गांव की महिला के बच्चे की मौत के बाद शव 12 घंटे तक झोले में पड़ा रहा और दंपत्ति नवजात बच्चे को खोने के बाद दिन भर मदद के लिए भटकते रहे। मदद भी तब मिली जब कलक्टर अमित कटारिया ने हस्तक्षेप कर बच्चे के शव और दंपत्ति को उनके गृहग्राम भिजवाया। यह खबर मीडिया की सूर्खियां बनी और कलक्टर घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दे दिए। अस्पताल प्रबंधन के इस अमानवीय रवैये के उजागर होते ही प्रबंधन की किरकिरी हुई और प्रशासन ने डॉक्टरों पर लगाम कसने की कोशिश की। इस बात से खफा डॉक्टरों का गुस्सा आखिकार मीडियाकर्मियों पर फूटा।

साथी से मिलने पहुंचे तो जबरन उलझने की कोशिश की डॉक्टरों ने
इस घटना के एक सप्ताह बाद राष्ट्रीय अखबार के दो रिपोर्टर अपने पत्रकार साथी के बच्चे के जन्म पर जब उससे मिलने महारानी अस्पताल पहुंचे थे। इनमें से एक पत्रकार ने इस घटना को उजागर किया था और लगातार इस विषय पर खबरें प्रकाशित कर रहा था। वहां मौजूद रहे पत्रकार ने बताया, पत्रकारों के गायनिक वार्ड में पहुंचते ही एक डॉक्टर ने वहां मौजूद वरिष्ठ लेडी डॉक्टर को यह बात बताई। इसके बाद वहां तैनात एक जूनियर डॉक्टर ने पत्रकारों की अलग-अलग एंगल से तस्वीरें अपने मोबाइल में खींची। इस पर पत्रकारों ने जब इस तरह से फोटो खींचने की वजह उक्त डॉक्टर से जाननी चाही तो उसने कोई उचित जवाब नहीं दिया। वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक उक्त डॉक्टर ने पत्रकारों से जबरन उलझने की कोशिश की थी। इसके बाद पत्रकारों ने भी उसे उसके ही अंदाज में जवाब दिया था।

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पुलिस की मौजूदगी में करते रहे पत्रकारों से बदसलूकी, कैमरे छिने कवरेज से रोका
इस घटना के दूसरे दिन बुधवार को मेकॉज में डॉक्टर मीडिया के खिलाफ प्रदर्शन में उतर आए। डॉक्टरों के अस्पताल में काम बंद करने और विरोध के कवरेज के लिए मीडिया भी पहुंची। जैसे ही डॉक्टरों ने मीडिया को देखा, डॉक्टरों ने पेशे की मर्यादा को ताक में रखा और वहां मौजूद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ही पत्रकारों से गुण्डागर्दी पर उतर आए। सबसे पहले शिकार फोटोजर्नलिस्ट सतीश साहू बने। फोटोजर्नलिस्ट ने जैसे ही फोटो खिंचने की कोशिश की करीब 15-20 डॉक्टरों ने उसे घेर लिया और धक्का-मुक्की और मारपीट पर उतारु हो गए। कैमरे छिना और फोटो डिलिट करवाए गए। इस बीच कई डॉक्टर उसे अश्लील गालियां देते रहे। मारने-पीटने की बात कहते हुए जान से मारने की धमकी भी दी। पत्रकार प्रशांत गजभिए, नवीन गुप्ता, गिरिश शर्मा, संतोष ठाकुर, धर्मेन्द्र महापात्र, जीवानंद हालदार समेत अन्य पत्रकारों के साथ भी इसी तरह का सलूक किया गया। इस दौरान कई पत्रकारों के मोबाइल और कैमरे टूट-फूट भी गए।

दशहत में पत्रकार, मीडिया पर हमले को बताया निंदनीय
पत्रकार प्रशांत गजभिए और सतीश ने कहा, जिस तरह से डॉक्टरों ने सलूक किया इससे वे दहशत में है। डॉक्टर कुछ भी कर सकते थे। यहां तक की जान से मारने तक की कोशिश की गई। यह सब पुलिस की मौजूदगी में ही होता रहा। डॉक्टरों ने शहर के बीच अस्पताल में इस तरह का सलूक किया है वह भी सिर्फ इसलिए मीडिया ने अस्पताल की असलियत खोलकर सामने रख दी। ऐसा ही हाल रहा तो फिर मेडिकल कॉलेज के डिमरापाल जाने के बाद वे पत्रकारों के साथ कुछ भी कर सकते हैं। पत्रकार संघ अध्यक्ष एस करीमुद्दीन ने कहा, इस मामले को हलके में नहीं लिया जाए। बेहद ही गंभीर मामला है और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। पत्रकार सुधीर जैन, भंवर बोथरा, सत्यनारायण पाठक, नरेश मिश्रा, सुरेश रावल, मनीष गुप्ता, रजत बाजपेयी समेत अन्य वरिष्ठ पत्रकारों ने इस घटना को बेहद ही निंदनीय बताया है।

जिस जगह विवाद हुआ वहां पर आम लोगों को भी मनाही नहीं
यहां गौरतलब है, गायनिक वार्ड के जिस क्षेत्र में पत्रकारों और उक्त डॉक्टरों के बीच विवाद हुआ वहां आम लोगों के जाने की मनाही नहीं है। वहां भर्ती महिला के परिजन जिसमें पुरूष भी शामिल रहते हैं वे भी वहां आना-जाना करते हैं। अस्पताल प्रबंधन की ओर से कभी भी इस क्षेत्र को प्रतिबंधित नहीं किया गया न ही प्रबंधन ने कभी भी यहां किसी को आने-जाने से रोकने की कोशिश की है।

इस बारे में अस्पताल के प्रवक्ता डॉ केएल आजाद से हमने बात की। उन्होंने माना, अस्पताल प्रबंधन को इस क्षेत्र को प्रतिबंधित करने में नाकाम बताया। उनका कहना था, महिला वार्ड की तरफ किसी पुरूष को नहीं जाना चाहिए, स्वविवेक की बात है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से ऐसा नियम कभी नहीं था। आम लोगों को कभी भी रोकने की कोशिश नहीं की गई है। लेकिन मीडियाकर्मी आम लोगों से ज्यादा समझदार है इसलिए उन्हें स्वविवेक का प्रयोग करते हुए ऐसी जगह नहीं जाना चाहिए। अब इस बारे में नियम बनाया जाएगा और वहां फलैक्स टांगकर इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया जाएगा।

आज कलक्टर से मिलेंगे मीडियाकर्मी
इधर घटना को लेकर मीडियाकर्मी गुरुवार की दोपहर कलक्टर अमित कटारिया से मिलकर अपना पक्ष रखेंगे। पत्रकार संघ ने इस घटना को निंदनीय बताया है। पत्रकारों के मुताबिक इस मामले में दोषी डॉक्टरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की जाएगी। पत्रकार संघ की ओर से धर्मेन्द्र महापात्र ने कहा, कलक्टर से मिलने के बाद आगामी रणनीति तय की जाएगी।

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