बेटी की स्मृति में शुरू की बस सेवा, नाम दिया निशुल्क बेटी वाहन मूलत चूरी गांव के रहने वाले डॉ.यादव नीमकाथाना के सरकारी अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के पद से सेवानिवृत है। उन्होंने महसूस किया कि गांव की लड़किया वाहनोंं के अभाव व छेडख़ानी से बचने के लिए कॉलेज जाने से बचती है। कई किमी पैदल चलना पड़ता था। उन्होंने बताया कि 22 साल पहले उनकी 6 माह की बेटी को तेज बुखार होने पर उसे खो दिया था। उसी दिन जीपीएफ के रुपए बेटी की याद में खर्च करने का प्रण किया था। डॉ. ने बताया कि वह ढाई साल पहले पत्नी के साथ नीमकाथाना से चूरी आ रहे थे। रास्ते में बालिकाओं को कीचड़ से गुजरते देख कार में लिफ्ट दी । बालिकाओं ने बताया कि परिवहन सुविधा नहीं होने से मोड़ से गांव तक पैदल आना पड़ता था। यहीं बात उनकी दिल को छू गई और बस खरीदने का निर्णय किया। एक जुलाई 2017 बस सेवा उपलब्ध करवा दी। बस से चुरी के अलावा बनेटी, पवाना, रामनगर, कायमपुरा व भोपतपुरा की बालिकाओं को लाभ होता है। बस प्रतिदिन कॉलेज जाती और आती है।
सहज करती है महसूस नि:शुल्क बेटी वाहन में प्रतिदिन कॉलेज जाने वाली छात्राएं पूजा, एकता, मनीषा व निकिता ने बताया कि डॉ. अंकल के प्रयास से अब कॉलेज के लिए कई किमी पैदल नहीं चलना पड़ता। पढ़ाई का पूरा समय मिल जाता है। डॉ. यादव ने पौधरोपण, निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने, आगंनबाड़ी केन्द्रोंं पर पोशाक व स्कूलों में बालको पठन सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए अलावा स्कूलों में 55 पंंखे भी उपलब्ध कराएं है। चूरी गांव में अग्रेजी अध्यापक का पद रिक्त होने पर अपने खर्चे पर निजी शिक्षक लगवाया।
45 हजार प्रति माह खर्च डॉ. यादव बस के संचालन पर प्रतिमाह 45 हजार का खर्च वहन कर रहे हैं। 35 हजार बस के चालक-परिचालक के वेतन, डीजल, 5 हजार रुपए रोड टैक्स व 5 हजार रुपए रख रखाव पर खर्च होते हैं। चालक व परिचालक की देखरेख की जिम्मेदारी बालिकाओं की अभिभावकों पर है। डॉ यादव की मंशा है कि निशुल्क बेटी वाहन को रोड टैक्स व टोल टैक्स में छूट मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है। (नि.सं.)
इनका कहना है एक बेटी को खोने के बाद मुझे लगता है कि मेरी 60-70 बेटियां है, जो नियमित कॉलेज जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मैं नियमित सहयोग करता रहूंगा।
डॉ.आरपी यादव राजकीय पानादेवी मोरीजावाला कन्या महाविद्यालय के लिए बेटी वाहन के शुरू होने से बालिकाओं में उच्च शिक्षा के प्रति रुझान बढऩे के साथ ही उनमें आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है।
एसडी मीना, प्राचार्य, कन्या महाविद्यालय कोटपूतली