आप सोच सकते हैं कि इन महिलाओं में समानता क्या है? उनकी समानता वित्तीय स्वतंत्रता के माध्यम से चुनाव की शक्ति में निहित है, जो एकता की गहराई को दर्शाती है। दाइची का सार यह है कि वह एक ऐसा ब्रांड है, जो सशक्तीकरण और परिवर्तन के मार्ग को प्रकाशित करता है।
शक्ति और सशक्तिकरण की गाथा गाती महिलाएं राजस्थान के विस्तृत खेतों और जीवंत बाजारों में, जहां प्राचीन परंपराएं और कहानियां अभी भी गूंजती हैं, वहां महिला कारीगरों की उद्यमशीलता की नई लहर देखने को मिल रही है। इस बदलाव का नेतृत्व कर रहा है दाइची। एक ब्रांड जो ग्रामीण विरासत के स्वादों को समकालीन मेजों तक पहुंचा रहा है। साथ ही महिलाओं को उनके उद्यमी सपनों को साकार करने की दिशा में मार्गदर्शन कर रहा है। यह दाइची की यात्रा है, जो शक्ति और सशक्तिकरण की गाथा के साथ-साथ हमारे शिल्पकारों के सम्मान की कहानी भी कहती है।
अब तक 30,000 महिलाओं को बनाया सशक्त दाइची आशा की किरण के रूप में कार्य करती हैं। हिंदुस्तान जिंक सीएसआर पहल – सखी के साथ यह शुरू हुआ, जिसने 2016 से अब तक 30,000 से अधिक महिलाओं को सशक्त बनाया है। सखी के माध्यम से महिलाओं ने आत्मविश्वास व अपनी आवाज पाई। समय के साथ ये स्वयं सहायता समूह एक बड़े सपने के साथ सखी उत्पादन समिति की स्थापना के लिए एकजुट हुए। आज सखी के अपने ब्रांड दाइची में उत्कृष्ट, पौष्टिक, रासायनिक-मुक्त खाद्य पदार्थ लोगों का व्यापक पसंद बन रहे हैं।
राजस्थान की समृद्ध खान-पान संस्कृति का सार रेखा बत्रा ने कहा कि प्रारंभिक चुनौतियों और पारंपरिक भूमिकाओं की सीमाओं के बावजूद उन्होंने और उनके साथियों ने उद्यमिता के क्षेत्र में प्रवेश करने की दिशा में एक साहसिक कदम उठाया। पारंपरिक रूप से बनाए गए स्वादिष्ट अचार से लेकर प्यार से उगाए गए स्वस्थ दालों तक, शहद मधुमक्खी पालकों से सीधे लेकर खेत से प्राप्त मसालों तक जो सुगंध में समृद्ध हैं, दाइची के खाद्य श्रेणी के हर उत्पाद में राजस्थान की समृद्ध खान-पान संस्कृति का सार समाहित है।
ग्रामीण महिलाओं को मिली पहचान हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की CSR प्रमुख अनुपम निधि ने बताया कि दाइची के निर्माण के बाद, उन्होंने पहचाना कि ग्रामीण भारत की महिलाओं को एक ऐसे बाजार की आवश्यकता थी, जो उनके उत्पादों को सूक्ष्म उपभोक्ताओं तक पहुंचा सके और प्रत्येक खरीद के साथ समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सके। ‘हर्ट्स विद फिंगर्स’ की शुरुआत की गई। ‘हर्ट्स विद फिंगर्स’ के संस्थापक अमरीश मेहरोत्रा ने कहा कि यह पहल छोटे उद्यमों, कारीगरों, किसानों और न्यायपूर्ण व्यापारिक आचरणों की सराहना करने की दिशा में एक क्रांति का आरंभ है। गुड़िया, रेखा, अनीशा, सुशीला, और अन्य अनेक ग्रामीण महिलाओं की जीवन गाथाएँ लचीलापन, नवाचार, और सशक्तिकरण की मिसाल पेश करती हैं।