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11 साल में 126 लोगों ने पुल से कूदकर दी अपनी जानें

locationबड़वानीPublished: Nov 12, 2018 11:04:18 am

सुसाइड पाइंट बन गया है नर्मदा पर बना बड़ा पुल, पुल पर सुरक्षा के लिए नहीं है कोई इंतजाम

Suicide Point has become big bridge on Narmada

Suicide Point has become big bridge on Narmada

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. शहर से कुछ ही दूरी पर स्थिति कसरावद में नर्मदा में बना पुल सुसाइड पाइंट बन चुका है। इस पुल से 11 सालों में 126 लोगों ने कूदकर अपनी जानें दी हैं। पिछले 11 सालों में इतनी अधिक संख्या में लोगों की जानें लेने वाले इस पुल पर सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने अब तक कोई मुकम्मल व्यस्थाएं की हैं। हर साल इस पुल से कूदने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। हर साल कई लोग इस पुल से कूदकर आत्महत्या कर रहे हैं। कुछ साल पूर्व इस पुल पर जालियां लगाने के लिए भी सामाजिक संगठनों ने पहल शुरू की थी, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चले गया। इसके बाद से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया और साल दर साल यहां मौतों का सिलसिला जारी है। लोगों की मानें तो अभी तक इस पुल का लोकार्पण नहीं हो पाया है। इसे भी लोग इन घटनाओं से जोड़कर देख रहे हैं।
पिछले साल हुई हैं सबसे ज्यादा आत्महत्याएं
कसरावद पुल से वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा 21 लोगों ने आत्महत्या की है। इसके पूर्व 2016 में 15 लोगों ने यहां से छलांग लगाकर मौत का गले लगाया है। इस पुल से 2010 में 13, 2011 में 13, 2012 में 9, 2013 में 8, 2014 में 13 और 2015 में 14 लोग कूदे हैं। हर साल लगातार हो रही मौतों के बाद भी पुल पर न तो जालियां लगाई गई और ना ही यहां कोई गार्ड तैनात किया गया जो इन आत्महत्याओं को रोकने के लिए कोई प्रयास करें।
जनभागीदारी से जालियां लगाने की थी तैयारी
पूल से हो रही मौतों को देखते हुए यहां जनभागीदारी से जालियां लगाने का प्रयास भी हुआ था। उस दौरान शहर के समााजिक संगठनों ने अपने स्तर तैयारियां भी कर ली थी। उस दौरान कई सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने पुल पर जालियां लगाने का बीढा उठाया था। पुल पर जालियां लगाने के लिए बहुत अधिक खर्च होने की वजह से यहां वो काम हो नहीं पाया। इस मामले में प्रशासनिक स्तर से प्रयास किए जाएं तो यहां पर जालियां भी लग सकती हैं।
कूदने के बाद कई लोगों की बच चुकी है जान
कसरावद पुल से कूदने के बाद यहां कई लोगों की जानें भी बच चुकी है। हर साल कई लोग यहां से जान देने के लिए कूदते तो हैं, लेकिन कई बार यहां नाव वालों की वजह से वे बच जाते है। यहां से कूदने वालों को लोग पानी से निकालकर अस्पताल में भी भर्ती करा चुके हैं।
साल दर साल ऐसे हुई हैं मौतें
2008 – 6
2009 – 4
2010 – 13
2011 – 13
2012 – 9
2013 – 8
2014 – 13
2015 – 14
2016 – 15
2017 – 21
2018 – 10
वर्जन…
इसके लिए अभी तो कोई फंड नहीं है। जनभागीदारी से ही इसके लिए कुछ किया जा सकता है। चुनाव के बाद इस संबंध में हम प्रयास करेंगे।
-अमित तोमर, कलेक्टर बड़वानी

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