खादी ग्रामोद्योग की ओर से 80 आधुनिक चरखों का वितरण किया गया। वह भी अधिकांश शहरी क्षेत्र में किए गए हैं। जबकि यह योजना सम्पूर्ण जिले के लिए प्रायोजित थी। ऐसे में यहां पर आवेदन करने वाले अधिकांश कतिने व बुनकर अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
आवेदन मांगे फिर फाइल ठंडे बस्ते में विभाग की ओर से
माडर्नचरखे के वितरण व प्रशिक्षण को लेकर आवेदन मांगे। विभाग के पास लगभग 2000 के करीब नाम आए। लेकिन विभाग के नियमों के चलते अधिकांश कातिनों व बुनकरों ने इससे दूरी बना ली। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
क्या है खासियत माडर्न चरखे की -यह चरखा लकड़ी की बजाय लोहे का है
-चरखे में एक की जगह आठ धागे एक साथ चलते हैं। -आठ गुणा अधिक कताई होने से काम जल्दी होता है
-इससे कमाई आठ गुणा अधिक होती है पहले सूची मांगी थी (
खादी ग्रामोद्योग )ने आधुनिक चरखा देने के लिए कातिनों व बुनकरों की सूची मांगी। फिर नियमों में उलझा दिया। ऐसे में चरखा अब तक नहीं मिला।
भूराराम मेघवाल, आटी
किसी को नहीं मिला चरखा गांव में 150 से अधिक कातिनों व बुनकरों की सूची भेजी गई थी। लेकिन किसी को भी चरखा नहीं मिला है। गोरधनराम, आटी