मुख्यमंत्री गहलोत ने जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में भर्ती अमराराम के स्वास्थ्य को लेकर कलक्टर को जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कलक्टर से पूरे मामले की लगातार रिपोर्ट देने का भी कहा है। पुलिस अधीक्षक को भी मामले की गंभीरता से जांच करने के सख्त निर्देश दिए है।
सीएम अशोक गहलोत ने पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। जिसमें सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम 2011 के नियम बनाने का अनुरोध किया। यह बिल 21 फरवरी 2014 को राज्यसभा से पास हुआ। 9 मई को राष्ट्रपति ने इस बिल को सहमति दे दी थी, परंतु 7 वर्ष से केन्द्र सरकार ने इस अधिनियम के नियम नहीं बनाए है।
जिला मुख्यालय पर एकत्रित आरटीआइ कार्यकतार्ओं ने नारेबाजी करते हुए राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया। पुलिस अधीक्षक को 12 सूत्री मांग पत्र सौंपकर साजिशकर्ताओं की गिरफ्तारी, षड्यंत्र का खुलासा, आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही, पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही, आरटीआइ कार्यकर्ताओं को सुरक्षा देने, अमराराम को 25 लाख की आर्थिक सहायता देने सहित इस षडयंत्र में शामिल बड़े लोगों के खिलाफ भी निष्पक्ष कार्यवाही करने की मांग की। कार्यकतार्ओं ने इस संघर्ष को लंबा चलाने और न्याय नहीं मिलने तक डटे रहने की बात कही। महावीर पार्क में बैठक कर कार्यकतार्ओ ने एकजुट होकर अमराराम को न्याय दिलाने का संकल्प लिया।
इधर, पूछताछ में वजह स्वीकारी – आरोपी भूपेन्द्र ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि आरटीआइ कार्यकर्ता अमर गोदारा ने मेरी शराब की ब्रांच शिकायत कर पकड़ा दी। इससे पहले एक शराब से भरा वाहन पकड़वा दिया था। उसके बाद रंजिश रख रहा था।
– आरोपी आदेश के प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ था, लेकिन अमर गोदारा की शिकायत के बाद आवास निरस्त हो गया। इसके चलते अमर को सबक सिखाने की ठान रखी थी।
साजिशकर्ता दूर, अब सीआइडी-सीबी करेगी पूछताछ पूर्व सरंपच नगराज गोदारा पर पीडि़त के पिता ने आरोप लगाया है। अमर गोदारा ने इनके कार्यकाल में हुए कार्यों को लेकर कई आरटीआई लगा रखी थी। हालांकि अब तक पूछताछ में कोई खुलासा नहीं हुआ है। पुलिस को अंदेशा है कि वारदात को अंजाम देने के लिए चार आरोपियों के अलावा भी साजिशकर्ता शामिल है। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।